Wednesday 31 August 2016

Hadeesi Hadse 226


हदीसी हादसे 

 बुखारी ६७३-
मुहम्मद का इन्तेक़ाल हो गया तो अहले अरब आज़ाद हो गए, उनके ज़हनों से खौफ़ जाता रहा और वह अपने आबाई मज़हब की तरफ रागिब होने लगे. अबूबकर और उमर इस बाबत बहस करते रहे. बकर ने उनसे (काफिरों से)जिहाद की ठानी मगर उमर इस पर राज़ी न हुए कि जिसने "लाइलाहा इल्लिल्लाह " पढ़ लिया वह हमारी तरफ़ से महफ़ूज़ हो गया. बकर ने कहा खुदा की क़सम जिसने मुहम्मद को एक बकरी का बच्चा भी दिया हो, वह हमें क्यूं न देगा.
* इस तरह दोनों में खिंचाव इशारा करता है कि इस्लामी तहरीक का ईमान था लूट पट. उमर की हिकमते-अमली से इस्लाम बच गया वर्ना मुहम्मद के बाद ही यह फितना एक फ़साना बन कर रह जाता.

बुखारी ६७४
मुहम्मद क़यामती पुडिया खोलते हुए बकते हैं कि ऊँट क़यामत के दिन इतने मोटे और भारी जिस्म के हो जाएँगे कि अपने मालकों को पैरों से रौदेगे और बकरियां इतनी फ़रबा हो जाएंगी कि अपने खुरों से पालने  वालों से इन्तेकाम लेंगी.
* मज़ीद बकवास इसी हदीस में खुद पढ़ें.

बुखारी ४७५
मुहम्मद कहते हैं जिस शख्स ने अल्लाह की राह में माल न दिया होगा और ज़कात अदा न किया होगा, इसके सामने चार आँखों वाला गंजा अजदहा लाया जायगा, उसके दोनों कल्लों में झाग भरी होगी और वह उसके गले में दाल दिया जाएगा. उसके दोनों जबड़े फाड़ते ही वह कहेगा, मैं तेरा मॉल हूँ, जिसे तूने अल्लाह की राह में खर्च न किया.
*अल्लाह का कोई हाथ नहीं है जिससे वह ज़कात वसूले जैसा कि मुहम्मद जंगों में लूट के मॉल में से २०% अल्लाह के नाम से ऐंठते थे और २०% उसके रसूल के नाम से वसूलते थे.उनकी नस्लें उनके बाद हसन, यजीद और माविया ही तरह बड़ी बड़ी रियासतों के मालिक हो गए थे.
 आगा खान, सय्य्दना जैसे मालदार आजतक चले आ रहे हैं.



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