Sunday 29 July 2012

Hadeesi Hadse - 45



हदीसी हादसे  

बुखारी ६४२ 
हदीस है कि मय्यत को दफ़नाने के बाद जब लोगों की वापसी से जूतों की आवाज़ आएगी तो फ़रिश्ते कब्र में नाजिल होंगे, मुर्दे को उठा कर बैठा देंगे और उससे पूछेंगे कि मुहम्मद के बारे में तेरा क्या ख़याल है? वह कहेगा कि अल्लाह के बन्दे और अल्लाह के रसूल थे. फ़रिश्ते कहेंगे देख तेरा मुकाम पहले दोज़ख में था मगर अब तुझको जन्नत अता होती है. मुहम्मद कहते हैं उसको ये दोनों मुकाम दिखलाए जाएँगे. 
इनके बाद जो मुनाफ़िक़ होंगे वह कहेगे कि जैसा लोग कहते थे वैसा ही मैं भी कहता था, उन के सर पर हथौड़ा चलेगा कि जिसकी आवाज़ जिन्स और इन्सान न सुन पाएँगे बाकी सब सुनेंगे. 

बुखारी ६३९ 
मुहम्मद ने मर्ज़ ए वफात में अपनी बीवी आयशा से कहा यहूदियों और ईसाइयों पर खुदा की मार कि जिनहों ने अपने नबियों की क़ब्रों को सजदा गाह बना रख्खा है. 
आयशा ने कहा हाँ! मुझे खौफ़  है कि कहीं आपकी कब्र को भी सजदागाह न बना लिया जाए. 
शायद यह बात गलत है कि मरते वक़्त इंसान के दिल में बुग्ज़ और झूट की कोई जगह नहीं रहती. यह हज़रत कुदूरत के पुतले थे. 

बुखारी ६१७-१८ 
मुहम्मद ने किसी मिटटी में औरतों को शरीक होने से महरूम कर दिया और कहा जो शख्स अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान रखता है, उसे चाहिए की मौतों का सदमा तीन दिन से ज़्यादः न किया करे. 

बुखारी ६३० 
मुहम्मद अपने लौंडी जने बेटे की खबर लेने चले जो युसूफ लोहार के यहाँ पल रहा था लोहार के घर उसकी भट्टी का धुवाँ भरा हुवा था और बच्चा गालिबन धुवां को बर्दाश्त नहीं कर परः था, वह बेचैन था. मुहम्मद के गोद में आकर बच्चे इब्राहीम ने दम तोड़ दिया. जिसे मुहम्मद ने अल्लाह की मर्ज़ी जाना. लोहार पर कोई इलज़ाम न दिया जिसकी वजेह से बच्चा मर गया,. 
मुहम्मद साहिबे हैसियत  थे, बच्चा उनकी निगरानी में पल सकता था. 

बुखारी ६15 
अब्दुल्ला बिन अबी एक मुनाफ़िक़ था जो मुहम्मद की वजेह से मदीने का हाकिम न बन सका. उसने कई बार मुसलमान होने से पहले मुहम्मद से पंगा लिया था. आयशा पर इलज़ाम लगाने का काम इसी ने किया था. दरपर्दा मुहम्मद का जानी दुश्मन था, बावजूद इस्लाम कुबूल करने के. 
मुहम्मद ने उसके मरने के बाद उसके मुंह में थूक कर अपनी पैगम्बरी निभाई थी या दुश्मनी, इस बात को वह खूब जानते हैं.

बुखारी ५४१
मुहम्मद के दिमाग में फितूर जगा और उसके तहत दौरान नमाज़ वह एक क़दम आगे बढे फिर वापस आकर अपनी जगह पर कायम हो गए. ज़ाहिर है उनकी इस हरकत को उनके पीछे खड़े नमाजियों ने देखा. बाद नमाज़ लोगों ने इसकी वजेह पूछी? कहने लगे नमाज़ में पहले मेरे सामने जन्नत पेश की गई , मैं आगे बढ़ा कि इस में से एक अंगूर का खूष तोड़ लूँ, अगर मैं तोड़ लेता तो क़यामत तक तुम लोग इसको खाते.
उसके बाद मुझे दोज़ख दिखलाई गई, कहा इस जैसा मंज़र मैंने कोई नहीं देखा. इसमें रहने वाली अक्सर औरतें दिखाई दीं, सवाल उट्ठा क्यों?
कहा ये नाशुकुरी ज़्यादः होती हैं लोगों ने पूछा क्या खुदा की नाशुकुरी करती हैं?
बोले -- अपने खाविंद की नाशुकुरी ज्यादः करती हैं, एहसान फरामोश होती हैं. अगर तुम इनमें से किसी के साथ एहसान करते रहो, लेकिन वह ज़रा सी बे उन्वानी की बात पर कह देती हैं हमने तुम में कोई अच्छाई नहीं देखी.

बुखारी 539 
हदीस है एक यहूदन ने मुहम्मद से दौरान गुफ्तुगू बार कहती कि अल्लाह कब्र के अज़ाब से बचाए, मुहम्मद इस बात से इतना मुतासिर हुए कि उनको मौसमी फल की तरह कब्र का अज़ाब मिल गया. वह बहुत दिनों तक लोगों से कब्र का अजाब गाते रहे.
मै बार बार कहता हूँ कि इस्लाम यहूदियत की भोंडी नक्ल है. 



जीम. मोमिन 

Wednesday 18 July 2012

Hadeesi Hadse -44


 

Aa[-naae nabaUvat

लबरेज़ जिंस से है मुहम्मद की ज़िन्दगी,

रंगीं हुई थी बाद खदीजा के सादगी.

नौ बीवियां जवान जहीलें हरम में थीं,

इनके आलावा और भी रहमो-करम पे थीं.

मुंह मारते थे लौंडियो पेबाँदियों  पे वह,

करते थे तबअ आज़माई छाँदियों पे वह.

घर में मुहम्मद के थी इक लौंडी थी मार्या,

वह हो गई थी उनके ही नुत्फे से हामला.

ज़ाहिर हुआ जो पेट, लगा माह आठवाँ,

उट्ठा सवाल किसका है? खोले वह ज़ुबाँ.

इक रोज़ मुहम्मद ने ही सब कर दिया बयाँ.

अल्लाह के रसूल का एलान अल्लमाँ.

बोले रसूल मेरा तअल्लुक़ हमल से है,

जो कुछ है उसके पेट में वह मेरे बल से है.

कुछ रोज़ बाद मर्या ने लड़का इक जना ,

खुशियाँ मनाईं, खतना, अकीका भी कर दिया.

इब्राहीम रखा नाम, मूरिसे-आला के नाम पर,

हज़रते  इब्राहीम अलैहिस्सलाम पर.

साहिब औलाद नारीना हुए नबी.

लेकिन अढाई साल में जाती रही ख़ुशी.

उम्रे-खिजाँ में, वह भी इक लौंडी का जन्मा फूल.

उसको बचा पाए तुफ़ ! अल्लाह के रसूल.

मरने पे उसके तअना ज़नो पर मलाल था.

पैगम्बरी के नाम पे उठता साल था.

अल्लाह ने दिफ़ा किया सूरह उतार कर,

सूरह--क़ौसर दिया उनको संवार कर.

क़ौसर बमअनी हौज़ के, जन्नत का ताल है.

पालेंगे वहाँ, मछलियाँ फिर क्या मलाल है.

तआना ज़नों को ला वलद कर देगा खुदाया ,

उम्मत के लिए बद  दुआ सूरह में जताया.

सौ कोड़ों की सज़ा है ज़िना कार के लिए,

लेकिन है मुआफ़ अहमद अय्यर के लिए.

**************************************

हदीसी हादसे 

बुखारी ५३८
मुहम्मद फ़रमाते हैं क़ुसूफ़  शम्सी (सूर्य ग्रहण) और क़ुसूफ़ क़मरी (चन्द्र ग्रहण अल्लाह) अल्लाह अपने बन्दों को डराने के लिए ज़ाहिर करता है, नाकि इसका तअल्लुक़ किसी के मौत ज़िदगी से होता है. जब तक चाँद और सूरज पर गहन पड़े, मुसलमानों को चाहिए नमाज़ पढ़ें और सद्का दिया करें.

*ग्रहणों की अफवाहें तकरीबन हर कौम में होती थी और हन्दुओं में खास कर. जो कौमे जगी हुई है, वह जानते है कि इनकी वजह क्या है.


मुहम्मद कहते हैं खुदा को अपने बन्दे और बंदियों के ज़िना करने से जितनी शर्म आती है, उतनी और किसी बात पर नहीं आतीखुदा की क़सम अगर तुमको इन बातों का इल्म होता जिन बातों का मुझको है, तो तुम हँसते कम और रोते ज्यादः.
*ए उम्मते-मुहम्मदी !मुहम्मदी अल्लाह जो अपने बन्दों और बंदियों से ज़िना कराता क्यों हैदर असल बन्दों के लिए यह काबिले शर्म बात हैकुरआन कहता है बगैर अल्लाह के हम एक पत्ता भी नहीं हिल सकता.
इस्लाम एक चूं चूँ का मुरब्बा है जिसे खाकर कोई भी शख्स इस्लामी पागल हो सकता है.


बुख़ारी ५३७
मुहम्मद की हदीस में है कि रहम (गर्भ) में क्या है? ये अल्लाह के सिवा किसी को नहीं पता.
*आज हर एक को पता है कि शिकम ऐ मादरी में लड़का है कि लड़की.
जैसे यह बात गलत साबित हुई है, वैसे ही पूरा इस्लाम आज काबिले यकीन नहीं.


बुख़ारी ५३६
मुहम्मद शाम और यमन के लिए अपने अल्लाह से दुआ करते हैं कि वह उन पर बरकत अता करे. लोगों ने एतराज़ किया कि वह तो नज्दी हैं? फिर वही दुआ की.
 फिर लोगों ने एतराज़ किया कि वह तो नज्दी हैं? मुहम्मद ने कहा - - - इस मुकाम पर ज़लज़ले और फ़ितने पैदा होंगे, वहां शैतानी सींग तुलू होता है.
*फ़ितना परवर मुल्क के लिए दुवा कैसी? है न अल्लाह के मफ्रूज़ा नबी पर नशे का गलबा. कुछ भी बक सक्कते है.

बुख़ारी ४९९
जुमे की नमाज़ हो रही थी, मुहम्मद नमाज़ पढ़ा रहे थे. ताजिर काफ़िला आया तो नमाजियों की भीड़ नमाज़ को छोड़ कर उसकी तरफ भागी, सिर्फ बारह लोग खड़े रहे. ऐसे में मुहम्मद ने अपने अल्लाह से एक आयत उतरवाई
"जब लोग तिजारत और लह्व लुआब की बात देखते हैं तो आपको खड़ा हुवा छोड़ कर उधर भागते हैं."
*सहाबए  किरम की असलियत ये आयत बतलाती है.

बुख़ारी ५२६
मुहम्मद ने देखा कि कुछ लोग इस्लाम की नाफ़रमानी कर रहे हैं तो उन्हें बद दुआ देते हुए कहा कि 
खुदावंद! इन पर कहत नाज़िल फरमा. इन पर सात साल युसूफ के सालों जैसा करदे. चुनांच सात सालों तक ऐसा कहत पड़ा कि लोग मुरदार खाने लगे, अबू सुफ्यान मुहम्मद के पास पहुंचे और कहा मुहम्मद आप अल्लाह के इताअत का हुक्म देते है और सिलह रहमी करते हैं और आपकी कौम हलाक़ हुई जाती है. आप अल्लाह से दुआ कीजिए - - -
*ये हदीस पूरी तरह से गढ़ी हुई है. न अरब में सात साल का कहत कभी पड़ा न खुद मुहम्मद को इसका सामना करना पड़ा. इस गढ़ंत में मिस्र के सात साला कहत को नक्ल करना और दौर को इस्लाम में शामिल करना है. 

बुखारी ४९६
झूठा अनस कहता है एक अरबी क़हत साली के आलम में मस्जिद में मुहम्मद से बयान किया कि या रसूल अल्लाह हम लोग भयानक कहत का सामना कर रहे हैं, अल्लाह से दुवा कीजे कि पानी बरसे.
अनस कहता है कि मदीने में मूसला धर बारिश हुई, यहाँ तक कि लोगों के बहुत से घर गिरने लगे. वह अगले जुमे को आया और अर्ज़ किया कि या रसूल अल्लाह बरसात रोकिए कि हम तबाह हो रहे है. मुहम्मद ने हाथ उठा कर दुआ की तो मदीने से बदल छट  गए.
अरब में इस क़दर बरसात आलमी तवारीख में तो नहीं हुई कि बाढ़ जैसे हालत हो जाएँ.

बुखारी ४७५
मुहम्मद कहते हैं कि अगर उनको अपनी उम्मत की तकलीफ का ख़याल होता तो वह हर नमाज़ से पहले उनसे मिस्वाक कराते .
*रमजानों में मिस्वाक दिन भर नहीं क्यूंकि अल्लह रोज्दारों के मुंह की बदबू को पसंद करता है.

बुखारी ४८३-४८४
मुहम्मद बयक वक़्त दो बातें करते है जो आपस में मुख्तलिफ होती हैं, जुमे के रोज़ मदीने के गरीब मजदूरों के जिस्म से पसीने की बदबू को सूंघ कर कहते हैं कि कम से कम आज तो नहा लिया होता
वहीँ दूसरी तरफ मदीने के मुज़ाफ़त से आने वाले नमाजियों से कहते है कि तुम्हारे गर्द आलूद कपड़ों को देख कर अल्लह तुम पर दोज़ख की आग हरम कर देगा.
मुहम्मद को हर वक़्त बोलते रहना है चाहे बात में ताजाद ही क्यूं हो.



जीम. मोमिन