Monday 29 August 2016

बांग-ए-दरा 76



बांग-ए-दरा

अल्लाह का इंसानी मिज़ाज 

जब हमल क़ब्ल अज वक़्त गिर जाता है तो वह खून का लोथड़ा जैसा दिखता है, 
मुहम्मद का मुशाहिदा यहीं तक है, जो अपने आँख से देखा उसे अल्लाह की हिकमत कहा. 
वह कुरान में बार बार दोहराते हैं कि
 "जिसने इंसानों को खून के लोथड़े से पैदा किया'' 
इंसान कैसे पैदा होता है, इसे मेडिकल साइंस से जानो.
इंसान को क़लम से तालीम अल्लाह ने नहीं दी, 
बल्कि इंसान ने इंसान को क़लम से तालीम दी. 
क़लम इन्सान की ईजाद है. कुदरत ने इंसान को अक्ल दिया कि उसने सेठे को क़लम की शक्ल दी, उसके बाद लोहे को और अब कम्प्युटर को शक्ल दे रहा है. 
मुहम्मद किसी बन्दे को मुस्तगना (आज़ाद) देखना पसंद नहीं करते.
सबको अपना असीर देखना चाहते हैं बज़रीए अपने कायम किए अल्लाह के.
ये आयतें पढ़ कर क्या तुम्हारा खून खौल नहीं जाना चाहिए कि मुहम्मदी अल्लाह इंसानों की तरह धमकता है
 "अगर ये शख्स बाज़ न आएगा तो हम पुट्ठे पकड़ कर जो दरोग़ और ख़ता में आलूदा हैं, घसीटेंगे.सो ये अपने हम जलसा लोगों को बुला ले. हम भी दोज़ख के प्यादों को बुला लेंगे."
क्या मालिके-कायनात की ये औकात रह गई है?
मुसलमानों अपने जीते जी दूसरा जनम लो. 
मुस्लिम से मोमिन हो जाओ. 
मोमिन मज़हब वह होगा जो उरियाँ सच्चाई को कुबूल करे. 
कुदरत का आईनादार और ईमानदार. 
इस्लाम तुम्हारे साथ बे ईमानी है. 
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