Wednesday 31 August 2016

बांग-ए-दरा 78





बांग-ए-दरा

मोमिन हो जाओ

मुसलमानों ! 
तुम अगर अपना झूटा मज़हब इस्लाम को तर्क कर के मोमिन हो जाओ तो 
तमाम कौमें तुम्हारी पैरवी के लिए आमादा नज़र आएँगी. 
कौन कमबख्त ईमान दारी की कद्र नहीं करेगा? 
माज़ी की तमाम दुन्या, लाशऊरी तौर पर मौजूदा दुन्या की हुकूमतों को ईमानदार बनने के लिए कुलबुला रही है, मगर मज़हबी कशमकश इनके आड़े आती है. 
चीन पहला मुल्क है जिसने मज़हबी वबा से छुटकारा पा लिया है,
 नतीजतन वह ज़माने में सुर्खुरू होता जा रहा है, 
शायद हम चीन की सच्ची सियासत की पैरवी पर मजबूर हो जाएं.
मोमिन लफ्ज़ अरबी है, इसके लिए तमाम इंसानियत अरबों की शुक्र गुज़ार है 
कि इतना पाक साफ़ और लाजवाब लफ्ज़ दुन्या को उन्हों ने दिया, 
जिसे एक अरब ने ही इस्लाम का नाम देकर इस पर डाका डाला और 
इसे लूट कर खोखला कर दिया. 
मगर लफ्ज़ में इसका असर अभी भी क़ायम है.
ऐसे ही "सेकुलर" लफ्ज़ को हमारे नेताओं ने लूटा है. 
सेकुलर के मानी हैं "ला मज़हब" 
जिसका नया मानी इन्हों ने गढ़ा है 
"सभी मज़हब को लिहाज़ में लाना" 
सियासत दान और मज़हबी लोग ही गैर मोमिन होते हैं, 
अवाम तो मोम की तरह मोमिन, होती है, 
हर सांचे में ढल जाती है.
*****


No comments:

Post a Comment