Monday 2 January 2017

HADEESI hADSE 441



हदीसी हादसे 
    बुख़ारी १४६५ 

मुहम्मद ने दो मुअज्ज़े कर दिखाए १-सैर फ़लक यानी मेराज और २- शक़्क़ुल क़मर यानी  चाँद को दो टुकड़ों में बाँट देना . इसके बाद उनको साथी उम्र ने ऐसी डांट  पिलाई कि तीसरे मुअज्ज़े की नौबत नहीं आई . कहते हैं कि मैंने उं गली के इशारे से चाँद के दो टुकड़े कर दिए , एक मगरिबी छोर पर आ टिका और दूसरा मशरिकी छोर पे . कहते हैं ये करिश्मा मैंने उस वक़्त किया था जब मक्के में था और लोगों को गवाह बनाया था .
"अब्दुल्ला बिन मसूद कहते है कि मुहम्मद के अहद में चाँद दो टुकड़े हो गया तो उन्हों ने लोगों से कहा तुम गवाह रहना ."
*अब्दुल्ला बिन मसूद ने मुहम्मद की कही हुई बात को दोराय है . इस बात पर मुसलमान कम यकीन करते हैं मगर अपना ईमान क़ायम रखने के लिए इस पर अकीदा ज़रूर रखते हैं . 
क्या होगा इस मुज़ब्ज़ब क़ौम का ?

किताबुल हयात (मुस्लिम
मुस्लिम साँप 
मुहम्मद कहते हैं कि मदीने में कई जिन रहते हैं जो मुसलमान हो गए हैं , सो जब कोई उम्र दराज़ साँपों को देखे, इसको तीन बार जता दे , अगर इस पर भी निकले तो इसे मार दे . वह शैतान है .
*इन बातों में जिहालत , शिर्क और कुफ्र के कितने पहलू छिपे हुए हैं . कम अज़ कम तालीम याफ्ता मुसलमान इस पर गौर करें . इस्लाम को निंभाएं नहीं , इसके खिलाफ आवाज़ बुलंद करें , ये आपका कौमी फ़रीज़ा है . अगर आपने अपने आपको बदल लिया तो यह काफी नहीं  है , दूसरों को भी बदलिए ,इंसानियत का तकाज़ा है , गर्दिश ए इस्लाम स मुसलमानों को निलालिए .