Sunday 14 August 2016

बांग-ए-दरा 62





बांग-ए-दरा

यतीम मुहम्मद

मुहम्मद जब पेट में थे, उनके बाप चल बसे, बचपन में ही माँ का इन्तेक़ाल हो गया। 
इसके बाद दाई हलीमा की सुपुरदगी में बकरियाँ चराने में उनका काफ़ी वक़्त बीता। फिर मुहम्मद अपने घर में अपनी माँ की हबशन लौंडी ऐमन के साथ रहने लगे जो कि उम्र में उनसे कुछ बड़ी थी, इतनी की उनकी पैदाइश पर उनका गू मूत और पोतड़े वही धोती। 
मुहम्मद के रिश्तेदार तो बहुतेरे थे, सगे दादा, कई एक चचा भी थे, मगर यतीम का कोई पुरसान ए हाल न था। झूठे ओलिमा इनके दादा और चाचाओं की दास्तानें बघारते हैं। साबित यह होता है कि वह मक्का के लोगों की बकरियां चरा कर अपना और ऐमन का गुज़ारा करते। 
पचीस साल की उम्र तक उनकी ज़िन्दगी की कोई क़ाबिल ए ज़िक्र हाल -चाल  नहीं मिलते । 
मुहम्मद के मिज़ाज को देखते हुए यह बात यकीन के साथ कही जा सकती है कि सिने बलूग़त आते आते इनका जिस्मानी तअल्लुक़ ऐमन के साथ हो चुका था। उस वक़्त यह बात कोई मायूब भी नहीं मानी जाती थी।
खादीजः ने जब मुहम्मद के सामने निकाह की पेश कश रखी तो मुहम्मद को कोई एतराज़ न हुआ, हांलाकि वह उम्र में उनसे पंद्रह साल बड़ी थीं, मगर मालदार थीं। 
मुहम्मद ने घर जंवाई बनना भी ठीक जाना। वह साथ में अपनी लौड़ी को भी ले गए।
इसी दरमियाँ ऐमन हामलाः हो गई, खदीजः के मशविरे पर मुहम्मद ने फ़ौरन इसकी शादी की बात मान ली। ग़ुलाम ज़ैद उनकी गुलामी में था ही, उसे ऐमन का शौहर बना दिया, गोकि उसकी उम्र अभी बारह साल की ही थी, वह जिन्सियात से वाक़िफ़ भी नहीं था कि एक अदद बच्चे का बाप बन गया। 
लौंडी और ग़ुलाम की मजाल ही क्या थी कि शादी से इनकार कर देते। ज़ैद मशहूर हदीस गो ओसामा का बाप कहलाया, जो कि दर अस्ल मुहम्मद का बेटा था। 
मुहम्मद ने इसे हर जगह फ़ौक़ियत भी दी।
इसी ज़ैद बिन हारसा की दूसरी कहानी शुरू हुई 
जब मुहम्मद ने इसकी दूसरी शादी अपनी रखैल जैनब से की। 
किसी इस्लामी मुवर्रिख की मजाल नहीं की इस सच्चाई को क़लम ज़द कर सके। 
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