Thursday 7 November 2013

Hadeesi Hadse 108 - - - Last


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अल्लाह को किसने पैदा किया 
मुहम्मद ने कहा लोग हमेशा छान बीन में रहेंगे , हत्ता कि ऐसा ज़माना आएगा कि कहेंगे 
फलाँ चीज़ अल्लाह ने पैदा किया , फलाँ चीज़ अल्लाह ने पैदा किया ,
तो अल्लाह को किसने पैदा किया ?
(बुख़ारी २ २ ४ ०) 
अपने ज़माने में क़ुरआनी अल्लाह को आपने पैदा किया जिसकी वजह से यह सवाल उठता है कि अल्लाह को किसने पैदा किया।
जहाँ तक ज़माने की बात है वह तो हमेशा से खोजबीन में लगा रहता है . आप ज़रूर अपनी उम्मत की फ़िक्र पर कुफल डाल चुके हैं बल्कि उसको मुन्जमिद कर चुके हैं . दीगर क़ौमें खोज बीन के चलते ख़ला में आबाद हो रही हैं। हर बशर को खुदा की तलाश है , शर्त ये है कि तलाश सदाक़त के पैमाने से हो। जो सच को पा जाए , वही खुदा का जुज़व है . अनल हक़ में भी अल्लाह था और God is nothing में भी अल्लाह मौजूद है , देखने की बात ये है कि मतलाशी की तलाश में कितना सच है कितनी पाकीज़गी है . 
सदाक़त के नशे में डूबे हुए इंसान कि तलाश जो कुछ भी होगी वह अल्लाह का जुज़व होगा , चाहे वह कोई ईजाद हो , चाहे कोई निज़ाम हो चाहे इलाज हो या हिकमत . उसका हर पैग़ाम अल्लाह की आवाज़ है।
ऐसे खोजी और मतलाशी ही खुदा के सच्चे पैग़ंबर हैं , नकि मुहम्मद जैसे मुजस्सम बातिल।
जब तक मुहम्मदी पयंबरी के झूठे नक़श मुसलमानो के ज़ेहनों में बाक़ी रहेंगे , क़ौम को पाताल में जाने से कोई नहीं रोक सकता .
इज्तेहाद (परिवर्तन) 
मुहम्मद कहते हैं कि जब हाकिम कोई हुक्म करता है और उसमें इज्तेहाद से काम लेता हो तो , अगर उसमें वह सही रस्ते पर पहुचता है तो उसको दो सवाब अता होंगे , अगर गलती हुई तो एक सवाब कहीं नहीं गया।
(बुख़ारी २ १ ४ ४) 
मशविरा तो ठीक ही है। इस्लामी क़ानून की सख्ती और क़ुरआनी दकिया नूसियत हाकिम को इजाज़त देंगे ? फतुवे ही बेड़ियां पाँव में डाल दी जाएँगी।
मुसलमानों के कई तबक़े हैं जो इज्तेहाद (परिवर्तन ) को अपना कर क़ुरआनी बंधन से आज़ाद हो चुके हैं, बहुत आगे निकल गए हैं .
इस्लाम को इज्तेहाद कि नहीं बल्कि सद्द बाब(समापति) की ज़रुरत है .
देव और देवियाँ फिर पूजी जाएँगी 
आयशा के मुताबिक़ मुहम्मद ने कहा 
रात और दिन ख़त्म न होंगे जब तक लात और उज़ज़ा (पुराने देव और देवियाँ) फिर से न पूजे जाएंगे।
मैंने अर्ज़ किया , या रसूलल्लाह मैं तो यह समझी थी कि जब अल्लाह तअला ने यह आयत उतार दी कि अपने रसूल को सच्चा दीन देकर भेजा ताकि इसको ग़ालिब करे सब दीनो पर।
आपने कहा ऐसा होगा जब तक अल्लाह तअला को मंज़ूर है ,
फिर अल्लाह तअला एक पाकीज़ा हवा भेजेगा जिसकी वजह से हर मोमिन मर जाएगा , यहाँ तक कि वह शख्स जिसके दिल में दाने बराबर भी ईमान होगा , मर जाएगा।
वह लोग बाक़ी रह जाएँगे जिनके दिलों में भलाई नहीं है . फिर वह लोग अपने बाप दादा के दीन पर लौट जाएंगे।
(मुस्लिम - - - किताबुल फ़ितन असरतुल सायता )
*  इस हदीस में मुहम्मद ने अपने दिल का खदशा ज़ाहिर किया है , बस मुस्लिम कि जगह मोमिन कहा है जो ग़लत है . जब इस ज़मीन पर ईमान ए हक़ीक़ी रखने वाले मोमिन ग़ालिब हो जाएंगे तब झूट और दरोग़ रखने वाले मुस्लिम खुद बखुद ख़त्म हो जाएंगे . मुहम्मद फ़ासिक़ और दरोग़ थे , इसका एहसास इनको था और अंजाम भी जानते थे कि झूट कि मौत यक़ीनी है , सो अपनी शरीक़ ए हयात से दिल कि बात कह गए।


हदीसी हादसे 
मेरे एतबार से मुन्तखिब हदीसें ख़त्म हुईं . जो बाक़ी रह जाती हैं वह सब क़ाबिल ए ज़िक्र भी नहीं।
झूठे और अक़ल से पैदल मुहद्दिस लिखते हैं कि बुख़ारी को चार लाख हदीसें याद थीं जिसमे दो लाख हदीसें उन्होंने ज़ईफ़ क़रार दिया . लिखने बैठे तो सिर्फ लगभग साढ़े सात हज़ार ही लिख पाए . उसमे से तजदीदियों ने साढ़े इक्कीस सौ हदीस को ही चुना बाक़ी " एक ही बात को दोहराया गया है" 
  मैं ने देखा तो इसमें भी सिर्फ चार सौ नाक़िस बाते मुहम्मद की मिलीं जिस पर मैंने तब्सरा किया . 

  


जीम. मोमिन