Tuesday 28 October 2014

Hadeesi hadse 18


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हदीसी हादसे 18

बुखारी १००१ 

"मुहम्मद का कहना है कि कुत्ते की तिजारत, भडुवा गीरी, और काहनों की बाटी हुई मिठाई खाना हराम है." 
* क़ुरानी फ़रमान में मुहम्मदी अल्लाह कहता है कि
 "लौंडियों की जिस्म फ़रोशी से मिलने वाले फ़ायदे हैं तो मना है, फिर भी इसके लिए अल्लाह मेहरबान मुआफ करने वाला है."? 
इस्लामी तज़ाद (विरोधाभास) का खुला द्वार। 
बुखारी अ००७ 

मुहम्मद ने कहा अल्लाह तअला जिसे अपना नबी मबऊस करता है, वह बकरियां को ज़रूर चराए हुए होता है. किसी ने पूछा क्या आप भी? कहा "हाँ मैं भी मक्का में चन्द दिरहम के एवज़  बकरियां चराइं ." 
*बकरियां चराने के दौरान मुहम्मद ने पैगम्बरी का ख्वाब भी देखा. मुराद पूरी होने पर दुन्या के बड़े हिस्से को किसी चरवाहे का इल्मे-जिहालत तकसीम किया जो दुन्या के लिए अजाब बना हुवा है. 

बुख्क्री १००८ 
मुहम्मद एक मिसाल पेश करते हैं कि 
" किसी ने एक काम पूरा करने के लिए कुछ लोगों को काम पर रखा मगर काम पूरा करने से पहले वह थक हार के अपनी उजरत मुआफ करते हुए चले गए. 
इसी तरह वह शख्स तीन बार मजदूरों को रखता है मगर हर बार मज़दूर हिम्मत हारके चले जाते हैं. चौथी बार उसने जिस गिरोह को सूरज डूबने से पहले काम पर लगता है, वह काम को पूरा कर देते हैं और पूरी उजरत लेकर चले जाते हैं. 
मुहम्मद इस्लाम कुबूल करने वालों को चौथा गिरोह मानते हैं." 

यह मिसाल अपने आप में मुसलमानों को क्या रुतबा देती है कि तीन मेहनत कशों का हक इन्हें मुफ्त मिल गया.? क्या इनका अल्लाह उस शख्स की तरह है जो तीन गिरोहों की उजरत घोटते को जायज़ समझे और चौथे को मुफ्त देदे? ये तो बहुत ही नामाकूल अल्लाह है. 
मुहम्मद का जेहनी मेयार कुछ यूँ ही था. 

बुखारी १०१० 
कुछ लोग सफ़र में थे कि रात हो गई, पास की बस्ती में रुक जाने का फैसला किया. बस्ती पहुँच कर बसती वालों से अपनी मेहमान दारी करने की फ़रमाइश की जिसे बस्ती वालों ने इनकार कर दिया. 
इत्तिफ़ाक से उस बस्ती के मुख्या को किसी ज़हरीले जानवर ने डंस लिया. वह लोग परेशान हो गए, कोई इलाज काम न आ रहा था. मश्विरह ये हुवा कि चलो बस्ती में टिके मुसाफिरों से दरयाफ्त किया जाए कि उनको शायद कोई मंतर मालूम हो. उनके पास जाकर माजरा बयान किया और पूछा कि आप लोगों के पास कोई मंतर है?
उनमें से एक बोला मंतर तो है मगर उसका मावज़ा अदा करना पड़ेगा क्योंकि तुम लोगों ने हमारी मेहमानी करने से इंकार कर दिया था. मुआमला बकरयो के एक रेवड़ पर तै हुवा. मुसाफिर में एक ने 'अल्हम्द' पढना और मुखिया पर दम करना शुरू कर दिया इत्तेफाक से वह मुखिया ठीक होने लगा और कुछ देर में एकदम ठीक हो गया,
 गोया उन लोगो को उन्हों ने बकरियों का एक रेवड़ दिया ज़िसको उन लोगों ने आपस में बाँटना चाहा कि उनमें से एक ने कहा चलो रसूल अल्लाह के पास मुआमले को बतलाएं फिर बाटें.
वह लोग मुहम्मद के पास आए और मुआमला बयान किया दिल चस्प वाकिए पर मुहम्मद हँसे और उन से पूंछा कि तुम को कैसे मालूम हुवा कि 'अल्हम्द' में मंतर छिपा है? कहा, खैर तुम लोग हिस्सा बाँट लो मगर उसमे मेरा हिस्द्सा भी लगेगा.

*दो बातें सामने आईं कि मुहम्मद अल्हम्द के मुसन्निफ़! हैरत में पड़ गए कि मेरी रचना मंतर का काम भी करती है?
दूसरे यह कि मुहम्मद की नियत का अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि जायज़ नाजायज़ मॉल हजम करने में कितने चाक चौबंद थे.

बुखारी १०११
`"मुहम्मद ने नर को मादा पर चढाने से और इसके बदले पैसा लेने से इंकार कर दिया."

*यह आम तौर पर पेशा हुवा करता था और आज भी है कि लोग नर को पाले रहते हैं कि ये नसले बढ़ने के काम आएगा और इसकी उजरत भी लेते है क्योंकि उन्हें पलने में कुछ लगत है. जायज़ पेशा हुवा.
मुहम्मद की पैगम्बरी अक्ल की पनाह चाहती है कि उजरत न लेते मगर कुदरत के मुआमले में अपनी जिहालत न भरते. अव्वल तो पैगम्बरी शान पर ये ज़ेबा ही नहीं देता कि नर पाले वह भी अन्डू. फिर इस नाज़ेब्गी को अवाम के काम न आने दें. अपनी इसी नज़रिए के चलते वह सांड पालने वालों पर भी बरहम हुवा करते थे और उनको जहन्नमी कहते थे.

बुखारी १०१२
मुहम्मद कहते हैं कि जब कोई तुमको किसी मालदार का हवाला दे तो चाहिए कि तुम उसके पीछे लग जाओ. उसका लाख हीला हवाला उसके काम न आने दो.

* यह मुहम्मद की नाकिस सोंच थी. एक तरफ़ तो उनका कोई मेहनत कशी का पैगाम नहीं है दूसरी तरफ़ मेहनत और हिकमत से मॉल कमाने वालों के पीछे मुफ्त खोर गुंडों को लगा दो?
लूट खसोट मुहम्मद के वजूद में शामिल है.


जीम. मोमिन 

Tuesday 21 October 2014

Hadeesi hadse 17


हदीसी हादसे 17
बुखारी 649
उमर के बेटे अब्दुल्ला कहते हैं कि एक रोज़ मुहम्मद, उमर इब्ने सय्याद की तरफ चले. बनू मुगाला के पास इसको बच्चों में खेलता हुवा पाया जो बालिग होने के क़रीब हो चुका था. इसको मुहम्मद के आने की खबर न हुई, जब मुहम्मद ने इसे हाथ से थपका तो इसको पता चला. मुहम्मद ने कहा
"तू इस बात की गवाही देता है कि मैं अल्लाह का रसूल हूँ ?"
 इसने मुहम्मद की तरफ देख कर कहा कि
"हाँ! मैं इस बात की गवाही देता हूँ कि आप जाहिलों के रसूल हैं."
 इसके बाद वह कहने लगा कि
"क्या आप इस बात की गवाही देते हैं कि अल्लाह का रसूल हूँ?"
 मुहम्मद ने उसके सवाल पर कन्नी काटी और कहा,
"मैं अल्लाह के सभी बर हक रसूलों पर ईमान रखता हूँ."
 फिर मुहम्मद ने उससे दरयाफ्त किया
"तुझको क्या मालूम होता है?"
उसने कहा "मुझको झूटी और सच्ची दोनों तरह की ख़बरें मालूम होती हैं."
" मुहम्मद ने कहा तुझ पर मुआमला मखलूत हो गया है"
फिर कहा "मैं ने तुझ से पूछने के लिए एक बात पोशीदा रक्खी है?"
उसने कहा "वह दुख़ है."
मुहम्मद ने कहा "दूर हो तू अपने मर्तबे से हरगिज़ तजाउज़ नहीं कर सकेगा."
उमर ने कहा
"या रसूल लिल्लाह अगर इजाज़त हो तो मैं इसे क़त्ल कर दूं?"
मुहम्मद ने कहा "अगर ये वही दज्जाल है तो तुम इसके क़त्ल पर क़ादिर  नहीं हो सकते, और अगर ये दज्जाल नहीं तो इसको मारने से क्या हासिल?"
राहे-फ़रार के सिवा मुहम्मद को कोई राह न मिली.
इब्ने सय्याद का नाम एसाफ़ था.
*शाबाश " एसाफ़ " तू अपने वक़्त का हीरो था, जिसे मुहम्मद को उनकी हक़ीक़त  समझा दी.
तुझको मोमिन सलाम करता है.




जीम. मोमिन 

Tuesday 14 October 2014

Hadeesi hadse 16


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बुखारी ६६५ 
मुहम्मद नमाज़ से फारिग होने के बाद लोगों से पूछा करते थे कि अगर उन्होंने कोई ख़्वाब देखा हो कि वह उसकी ताबीर बतला दें. रोज़ की उनकी बकवास सुनते सुनते लोग बेजार हो गए तो एक दिन ऐसा आया कि किसी ने कोई ख्वाब ही नहीं देखा. इस पर मुहम्मद ने कहा मैं ने एक ख़्वाब देखा सुनो - - - 
1-मैंने देखा कि एक मुक़द्दस ज़मीन की तरफ़ मुझे ले जाया गया, ले जाने वाले दो थे. मैं ने देखा कि एक शख्स हाथ में ज़मबूर लिए दूसरे का कल्ला चीर रहा था, ज़म्बूर मुंह से निकलते ही उसका कल्ला सालिम हो जाता तब वह डूसरे गलफरे को चीरता है . . .
पूछा माजरा क्या है? 
दोनों ने कहा आगे चलो. 
२- आगे मैं ने देखा कि एक चित लेटे आदमी पर दूसरा पत्थर मारता है कि सर फट जाता है, वह पत्थर उठाने जाता है कि उसका सर फिर से सलिम हो जाता है. 
मैंने माजरा जानना चाह तो कहा आगे चलो. 
३-आगे मैंने देखा कि दो मर्द और औरत नंगे एक तंदूर में जल रहे हैं. तंदूर जब उफनता है तो दोनों ऊपर तक आ जाते हैं मगर बाहर नहीं निकल पाते और फिर नीचे चले जाते हैं. मैंने माजरा जानना चाहा तो कहा आगे चलो. 
४- आगे मैंने देखा कि एक शख्स नहर में फंसा हुवा है और नहर के दोनों कनारे पर दो लोग पत्थर लिए खड़े हैं. वह एक कनारे पर निकलने को जाता है तो उस पर पहला पथराव करता है और दूसरे कनारे पर जाता है तो दूसरा उस पर पथराव कर के वापस कर देता है. मैंने उन से इसका माजरा पूछा तो वह लोग मुझे एक शानदार बाग में ले गए जिसमे एक बूढा बैठा था और बाग में एक आली शान माकन था ,फिर दूसरा माकन था, जिसमें बच्चे जवान और बूढ़े बकसरत भरे हुए है, मेरे तजस्सुस पर उन दोनों ने कहा 
१- पहला जिसका कल्ला चीरा जा रहा था वह झूटी बातों की खबर फैलता था .
२- दूसरा जिसे ज़ख़्मी किया जा रह था, वह कुरान पाकर भी उसकी तिलावत नहीं करता था.
३- जिन जोड़े को आपने तंदूर में देखा, वह दोनों ज़िना कार थे. 
४-जो शख्स नाहर में फंसा था वह सूद खोर था.
इन चरों को क़यामत तक यूं ही सज़ा जरी रहेगी.
बाग में बैठे ज़ईफ हज़रात इब्राहीम अलेहिस सलाम थे. 
मकानों में उनके जन्नती औलादें थीं और दूसरे में शहीद ए जिहाद थे.
बाद में दोनों ने बतलाया हम लोग जिब्रील और मीकाईल हैं.
उन्हों ने ऊपर अब्र पर इशारा करके बतलाया कि ऊपर आप का मकान है, 
मैने कहा तो मुझे मेरे माकन ले चलो तो उन लोगों ने कहा अभी नहीं अभी आपकी उम्र बाकी है.
यह हदीस मुहम्मद की मन गढ़ंत है. सबसे पहले इनका क़ल्ला चीरा जाना था, मगर मोहताज अवाम की इतनी हिम्मत कहाँ कि वह झूठे पैगाबर के खिलाफ लब कुशाई करते .
बल्कि इन चारो सज़ाओं के मुजरिम खुद मुहमद होते हैं. 
अपने बहू के साथ ज़िना करते, बेटे ने देख लिया था, फिर उसे बगैर निकाह के ज़िन्दगी भर रखैल बना कर रखा, जिसकी तबलीग ओलिमा उनके हक़ में करते रहे, ये उनकी मजबूरी है कि मुसलमान यही सुनना चाहते है.
इतना बड़ा ख्वाब जो दूसरे दिन इस तरह बयान किया जय? इसकी पेश बंदी बतलाती है कि यह दिन में मुहम्मद ने खुली आँखों से देखा. 
मुसलमानों! 
क्या तुम कहाँ हो, क्या तुम्हारा रहनुमा इतना झूठा हो सकता है? 

जीम. मोमिन 

Tuesday 7 October 2014

Hadeesi hadse 15


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हदीसी हादसे 15

बुखारी६४९
मुहम्मद के चाचा अबू तालिब का जब वक़्त आखीर आया तो मुहम्मद उनको देखने गए. वहां पर उनके दूसरे चचा अबू जेहल और कुछ लोगों को मौजूद पाया. मुहम्मद ने कहा,
" चाचा! कहो ला इलाहा इल्लिल्लाह, इस कलिमे से मैं खुदा के सामने तुम्हारी गवाही दूंगा."
इस पर अबू जेहल और ईद इब्न उम्मीद ने कहा, "
"अबू तालिब क्या तुम अपने बाप अबू मुत्तलिब के दीन से मुन्हरिफ़ हो रहे हो?"
अबू तालिब ने कहा,
"मैं अपने बाप अबू मुततालिब के दीन पर क़ायम हूँ."
इस पर मुहम्मद ने कहा
"खुदा की क़सम मैं तुम्हारे लिए मग्फ़िरत की दुआ करता रहूँगा"
अबू तालिब ने मुहम्मद को पाला पोसा और तमाम उम्र मुहम्मद के सर परस्त रहे . उन्हें भी अपनी झूटी पैगम्बरी की दावत दी. 
दूसरी तरफ मुहम्मद ने अपनी उम्मत को मना किया है कि अपने काफ़िर रिश्ते दारों के लिए मग्फ़िरत की दुआ मत किया करो. हर जगह मुहम्मद दोगले साबित हुए हैं.

बुखारी६५०
मुहम्मद किसी जनाज़े में शरीक थे कि  ज़मीन पर बैठ गए, दूसरे लोग  भी  इनके गिर्द बैठ गए. लोगों ने देखा कि वह अपनी छड़ी से ज़मीन पर कुछ नक्श कर रहे थे, कहा,
"लोगो! तुम में हर फ़र्द  की हक में दोज़ख और जन्नत मुक़द्दर में लिखी हुई है."
किसी ने कहा
"अगर ऐसा ही है तो आमाल की ज़रुरत कैसी? जब पहले ही मुक़द्दर लिख दिया गया है."
कहा "जो शख्स फ़रमा बरदार है उसके किए फ़रमा बरदारी और नाफ़रमान  के लिए नाफ़रमानी के अमल आसान कर दिए गए हैं."
सवाल उठता है इस में शिकायत का अज़ाला कहाँ है? बात वहीँ पर कायम है. बहुत से लोगों को मुहम्मद के जवाब पर सवाल करने की हिम्मत न थी.  अल्लाह उनके लिए अमल आसन क्यों कर देता है? पैदा होते ही पेट से अगर फ़र्द पर दोज़ख और जन्नत लिख दी गई है तो यह इंसान के साथ अल्लाह की बे ईमानी है और हठ धर्मी है.
फ़र्द तो बे कुसूर है.

बुखारी ६५१-५२-५३
इस्लामी फार्मूला है कि बन्दों की किस्मत अल्लाह हमल में ही लिख देता है,
फिर बन्दे के आमाल क्यों दर्ज किए जाते हैं?
इस मौज़ू  पर ओलिमा तरह तरह की दलील गढ़ते हैं.
अल्लाह कहता है कि जिस तदबीर से बन्दा खुद कशी करता है उसी तरकीब से अल्लाह जहन्नम में उसको अज़ीयत पहुंचाएगा. मसलन किसी  बन्दे ने फाँसी लगा कर खुद कशी की है तो जहन्नम में उसे फँसी की अज़ीयत नाक मौत का सिलसिला चलता रहेगा वह भी हमेशा, मौत तो दोज़ख में है ही नहीं.  



जीम. मोमिन