Wednesday 3 August 2016

हदीसी हादसे 21


हदीसी हादसे 
बुखारी६५०
मुहम्मद किसी जनाज़े में शरीक थे कि  ज़मीन पर बैठ गए, दूसरे लोग  भी  इनके गिर्द बैठ गए. लोगों ने देखा कि वह अपनी छड़ी से ज़मीन पर कुछ नक्श कर रहे थे, कहा,
"लोगो! तुम में हर फ़र्द  की हक में दोज़ख और जन्नत मुक़द्दर में लिखी हुई है."
किसी ने कहा
"अगर ऐसा ही है तो आमाल की ज़रुरत कैसी? जब पहले ही मुक़द्दर लिख दिया गया है."
कहा 
"जो शख्स फ़रमा बरदार है उसके किए फ़रमा बरदारी और नाफ़रमान  के लिए नाफ़रमानी के अमल आसान कर दिए गए हैं."
सवाल उठता है इस में शिकायत का अज़ाला कहाँ है? बात वहीँ पर कायम है. बहुत से लोगों को मुहम्मद के जवाब पर सवाल करने की हिम्मत न थी. अल्लाह उनके लिए अमल आसन क्यों कर देता है? पैदा होते ही पेट से अगर फ़र्द पर दोज़ख और जन्नत लिख दी गई है तो यह इंसान के साथ अल्लाह की बे ईमानी है और हठ धर्मी है.
फ़र्द तो बे कुसूर है.

बुखारी ६५१-५२-५३
इस्लामी फार्मूला है कि बन्दों की किस्मत अल्लाह हमल में ही लिख देता है,
फिर बन्दे के आमाल क्यों दर्ज किए जाते हैं?
इस मौज़ू  पर ओलिमा तरह तरह की दलील गढ़ते हैं.
अल्लाह कहता है कि जिस तदबीर से बन्दा खुद कशी करता है उसी तरकीब से अल्लाह जहन्नम में उसको अज़ीयत पहुंचाएगा. मसलन किसी  बन्दे ने फाँसी लगा कर खुद कशी की है तो जहन्नम में उसे फँसी की अज़ीयत नाक मौत का सिलसिला चलता रहेगा वह भी हमेशा, मौत तो दोज़ख में है ही नहीं.  

बुखारी ६४२ 
हदीस है कि मय्यत को दफ़नाने के बाद जब लोगों की वापसी से जूतों की आवाज़ आएगी तो फ़रिश्ते कब्र में नाजिल होंगे, मुर्दे को उठा कर बैठा देंगे और उससे पूछेंगे कि मुहम्मद के बारे में तेरा क्या ख़याल है? वह कहेगा कि अल्लाह के बन्दे और अल्लाह के रसूल थे. फ़रिश्ते कहेंगे देख तेरा मुकाम पहले दोज़ख में था मगर अब तुझको जन्नत अता होती है. मुहम्मद कहते हैं उसको ये दोनों मुकाम दिखलाए जाएँगे. 
इनके बाद जो मुनाफ़िक़ होंगे वह कहेगे कि जैसा लोग कहते थे वैसा ही मैं भी कहता था, उन के सर पर हथौड़ा चलेगा कि जिसकी आवाज़ जिन्स और इन्सान न सुन पाएँगे बाकी सब सुनेंगे. 



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