Wednesday 24 August 2016

hADEESI HADSE 225




हदीसी हादसे 
बुखारी ६५७-५८ 

मुहम्मद एक बार जंगे-बदर के कुँए क़लीब से गुज़रे तो अपने ही मरे हुए रिश्ते दारों को, जिन्हें उन्हों ने जंग के बाद कुँए में फिकवाया था, मुखातिब करके कहा 
"तुमने अपने रब के वादे को सच्चा पाया?" 
लोगों ने कहा आप मुर्दों से बातें करते हैं, 
"जवाब था खुदा की क़सम! ये तुमसे ज्यादह सुनते हैं." 
मुहम्मद खुद अपनी उम्मत में वहम फैलाते थे, जिसको ओलिमा गुनाह बतलाते हैं. खुद उनकी बीवी आयशा इसकी तरदीद करती हैं. 

बुखारी ६५९ -६६०-६१-६२ 

मुहम्मद शाम के वक़्त अपने घर में घुसे कि एक धमाके की आवाज़ सुनी, कहा - - -
" कब्र में यहूदियों पर अज़ाब नाजिल हो रहा है." 

*मुहम्मद हर मौके पर कोई न कोई मन गढ़ंत कायम करते थे जिसे लोग उनके गलबा की वजह से बर्दाश्त करते थे. सितम ये है कि इस्लामी आलिम इसे अकीदे और सच्चाई में पिरोते हैं. 

बुखारी ६३ 

मुहम्मद कहते हैं कि उनका ( नाजायज़) बेटा इब्राहीम मरा तो जन्नत में उन्होंने उसके लिए दूध पिलाने वाली दाई मुक़र्रर किया. 
*दुनया में उनका बस न चला तो रोने लगे और जन्नत पर इतना क़ब्ज़ा है कि बेटे के लिए दाइयां मुक़र्रर करते फिर रहे हैं. 
ऐ खबीस की औलादो! आलिमान दीन !! क्या कहते हो? 


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