
हदीसी हादसे
बुखारी ६३९
मुहम्मद ने मर्ज़ ए वफात में अपनी बीवी आयशा से कहा यहूदियों और ईसाइयों पर खुदा की मार कि जिनहों ने अपने नबियों की क़ब्रों को सजदा गाह बना रख्खा है.
आयशा ने कहा हाँ! मुझे खौफ़ है कि कहीं आपकी कब्र को भी सजदागाह न बना लिया जाए.
शायद यह बात गलत है कि मरते वक़्त इंसान के दिल में बुग्ज़ और झूट की कोई जगह नहीं रहती. यह हज़रत कुदूरत के पुतले थे.
बुखारी ६१७-१८
मुहम्मद ने किसी मिटटी में औरतों को शरीक होने से महरूम कर दिया और कहा जो शख्स अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान रखता है, उसे चाहिए की मौतों का सदमा तीन दिन से ज़्यादः न किया करे.
बुखारी ६३०
मुहम्मद अपने लौंडी जने बेटे की खबर लेने चले जो युसूफ लोहार के यहाँ पल रहा था लोहार के घर उसकी भट्टी का धुवाँ भरा हुवा था और बच्चा गालिबन धुवां को बर्दाश्त नहीं कर परः था, वह बेचैन था. मुहम्मद के गोद में आकर बच्चे इब्राहीम ने दम तोड़ दिया. जिसे मुहम्मद ने अल्लाह की मर्ज़ी जाना. लोहार पर कोई इलज़ाम न दिया जिसकी वजेह से बच्चा मर गया,.
मुहम्मद साहिबे हसियत थे, बच्चा उनकी निगरानी में पल सकता था.
बुखारी ६15
अब्गुल्ला बिन अबी एक मुनाफ़िक़ था जो मुहम्मद की वजेह से मदीने का हाकिम न बन सका. उसने कई बार मुसलमान होने से पहले मुहम्मद से पंगा लिया था. आयशा पर इलज़ाम लगाने का काम इसी ने किया था. दरपर्दा मुहम्मद का जानी दुश्मन था, बावजूद इस्लाम कुबूल करने के.
मुहम्मद ने उसके मरने के बाद उसके मुंह में थूक कर अपनी पैगम्बरी निभाई थी या दुश्मनी, इस बात को वह खूब जानते हैं.
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