Saturday 2 July 2016

बांग-ए-दरा -23


बांग-ए-दरा


 बाबा और बिल गेट 

स्वयंभू भगवानो के सिलसिले की एक कड़ी का और अन्त हुवा. 
सत्य श्री साईं अपनी भविष वाणी, जिसके अनुसार उनकी उम्र ९२ साल होगी असत्य हुई.
 ६ साल पहले ही ऐसी मौत मरे कि उनका शरीर आधा अर्थात ३२ किलो रह गया. 
भगतों ने कहा संसार में बढ़ते हुए पापों को उन्हों ने अपने ऊपर ले लिया. 
उनका दावा था कि वह भूत कालिक शिर्डी के साईं का अवतार थे 
दावा ये भी है कि दोबारा अवतार लेगे. यानी उनके असत्य का सम्राज कायम रहेगा. 
देखिए कि इससे कौन होशियार पैदा होता है.
शिर्डी का मुस्लिम फकीर जिसके पास दो जोड़े कपडे भी ढंग के न थे एक टूटी फूटी वीरान मस्जिद को अपना घर बना लिया था, उसी हालत में वह इस दुन्या से गया. 
उसकी मूर्ति करोरो का धंधा दे गई है और शयाने लोग हराम की कमाई का ज़रीया बनाए हुए है. दूसरी तरफ सत्य श्री साईं एक नया बुत जनता को पूजने के लिए दे गए है. 
उनकी ये दूसरी दूकान है. ये अरबों की संपत्ति छोड़ कर मरे जिसके बदौलत हजारो अस्पताल कालेज और दूसरे धर्मार्थ संस्थाएं चल रही हैं. 
ये सब अंधविश्वास के कोख से निकले हुए चमतकार हैं,
 इस से अन्धविश्वासी बड़े बड़े डाक्टरसे ले कर जजों तक की घुस पैठ है, 
जिन्हों ने बाबा के रस्ते को फायदे मंद समझा.
अब हम एक महान हस्ती की बात करते हैं जो अंध विश्वासों से कोसों दूर कर्म फल के बिलकुल पास खड़ा है जो न मदारियों का चमत्कार जनता को दिखलाता है, न झूट के पुल बांधता है. उसने अपने कर्म से दुन्या को नई ईजाद दिया, करोरो लोगों को रोज़ी रोटी दिया. उसने वह काम किया जो "सवाब ए जारिया" कहलाता है अर्थात हमेशा हमेशा के लिए जारी रहने वाला पुन्य. वह अपनी सफेद कमाई के बलबूते पर दुन्या का सब से बड़ा अमीर बना . 
उसने अपनी चाहीती बीवी के नाम पर एक न्यास बना कर अपनी दौलत का आधे से ज़्यादा हिस्सा दान कर दिया इतनी दौलत जो स्वयंभु बाबा के साम्राज को अपने जेब में रख ले., जिसमे दुनया के ईमान दार तरीन लोग शामिल हैं. 
आप समझ गए होंगे की मैं बिल गेट की बात कर रहा हूँ.
स्वयंभु बाबा और बिल गेट की तुलना इस तरह से की जा सकती है - - -
बिल गेट ने इंजीनियरिंग की एक परत को उकेरा जो तराशने के बाद हीरा बनी 
और बाबा ने मदारियों की हाथ की सफाई पेश किया जिसे कई बार जादूगरों ने उनको चैलेज करके रुसवा किया.
बिल गेट ने नए आविष्कार को जन्म दिया, पाला पोसा और 
बाबा ने पुराने अंध विशवास को नई नस्ल को परोसा.
बिल गेट ने करोरों लोगों को रोज़गार दिया और 
बाबा ने लाखों लोगों को निकम्मा और काहिल बनाया. 
उनके करोड़ों अरबों वर्किग आवर्स बर्बाद किए कि 
बैठ तालियाँ बजा बजा कर बाबा का गुणगान करते हैं.
बिल गेट ने की सारी कमाई मुल्क को टेक्स भरके किया और 
बाबा का सारा पैसा टेक्स चोरों की काली कमाई का है. 
दान धर्म पर कोई अपनी हलाल की कमाई चंदा में नहीं देता.
ये बिल गेट ने और बाबा की तुलना नहीं है बल्कि 
पच्छिम और पूरब की मानसिकता की तुलना है.
हम भारतीय हमेशा झूट को पूजते हैं और 
पश्चिम यथार्थ पर विश्वास रखता है. 
हमारी दास मानसिकता हमेशा दास्ता की परिधि में रहती है. 
वह इसका फायदा उठाते हैं.

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