
हदीसी हादसे
बुखारी ५४१
मुहम्मद के दिमाग में फितूर जगा और उसके तहत दौरान नमाज़ वह एक क़दम आगे बढे फिर वापस आकर अपनी जगह पर कायम हो गए. ज़ाहिर है उनकी इस हरकत को उनके पीछे खड़े नमाजियों ने देखा. बाद नमाज़ लोगों ने इसकी वजेह पूछी? कहने लगे नमाज़ में पहले मेरे सामने जन्नत पेश की गई , मैं आगे बढ़ा कि इस में से एक अंगूर का खूष तोड़ लूँ, अगर मैं तोड़ लेता तो क़यामत तक तुम लोग इसको खाते.
उसके बाद मुझे दोज़ख दिखलाई गई, कहा इस जैसा मंज़र मैंने कोई नहीं देखा. इसमें रहने वाली अक्सर औरतें दिखाई दीं, सवाल उट्ठा क्यों?
कहा ये नाशुकुरी ज़्यादः होती हैं लोगों ने पूछा क्या खुदा की नाशुकुरी करती हैं?
बोले -- अपने खाविंद की नाशुकुरी ज्यादः करती हैं, एहसान फरामोश होती हैं. अगर तुम इनमें से किसी के साथ एहसान करते रहो, लेकिन वह ज़रा सी बे उन्वानी की बात पर कह देती हैं हमने तुम में कोई अच्छाई नहीं देखी.
बुखारी 539
हदीस है एक यहूदन ने मुहम्मद से दौरान गुफ्तुगू बार कहती कि अल्लाह कब्र के अज़ाब से बचाए, मुहम्मद इस बात से इतना मुतासिर हुए कि उनको मौसमी फल की तरह कब्र का अज़ाब मिल गया. वह बहुत दिनों तक लोगों से कब्र का अजाब गाते रहे.
मै बार बार कहता हूँ कि इस्लाम यहूदियत की भोंडी नक्ल है.
बुखारी ५३८
मुहम्मद फ़रमाते हैं क़ुसूफ़ ए शम्सी (सूर्य ग्रहण) और क़ुसूफ़ ए क़मरी (चन्द्र ग्रहण अल्लाह) अल्लाह अपने बन्दों को डराने के लिए ज़ाहिर करता है, नाकि इसका तअल्लुक़ किसी के मौत ओ ज़िदगी से होता है. जब तक चाँद और सूरज पर गहन पड़े, मुसलमानों को चाहिए नमाज़ पढ़ें और सद्का दिया करें.
*ग्रहणों की अफवाहें तकरीबन हर कौम में होती थी और हन्दुओं में खास कर. जो कौमे जगी हुई है, वह जानते है कि इनकी वजह क्या है.
मुहम्मद कहते हैं खुदा को अपने बन्दे और बंदियों के ज़िना करने से जितनी शर्म आती है, उतनी और किसी बात पर नहीं आती.
*ए उम्मते-मुहम्मदी ! खुदा की क़सम अगर तुमको इन बातों का इल्म होता जिन बातों का मुझको है, तो तुम हँसते कम और रोते ज्यादः.
*मुहम्मदी अल्लाह जो अपने बन्दों और बंदियों से ज़िना कराता क्यों है, दर असल बन्दों के लिए यह काबिले शर्म बात है. कुरआन कहता है बगैर अल्लाह के हम एक पत्ता भी नहीं हिल सकता.
इस्लाम एक चूं चूँ का मुरब्बा है जिसे खाकर कोई भी शख्स इस्लामी पागल हो सकता है.
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