Saturday 9 July 2016

बांग-ए-दरा -29


बांग-ए-दरा

खुली छूट  

कितनी बड़ी विडंबना है कि एक तरफ तो हम नफ़रत का पाठ पढाने वालों को सम्मान देकर सर आँखों पर बिठाते हैं, उनकी मदद सरकारी कोष से करते हैं, उनके हक में हमारा कानून भी है, मगर जब उनके पढे पाठों का रद्दे अमल होता है तो उनको अपराधी ठहराते हैं. 
ये हमारे मुल्क और क़ौम का दोहरा मेयार है. 
धर्म अड्डों धर्म गुरुओं को खुली छूट कि वोह किसी भी अधर्मी और विधर्मी को एलान्या गालियाँ देता रहे, भले ही सामने वाला विशुद्ध मानव मात्र हो,
या योग्य कर्मठ पुरुष हो, 
अथवा चिन्तक नास्तिक हो. 
इनको कोई अधिकार नहीं की यह अपनी मान हानि का दावा कर सकें. 
मगर उन मठाधिकारियों को अपने छल बल के साथ न्याय का सन रक्षण मिला हुवा है.
 ऐसे संगठन, और संसथान धर्म के नाम पर लाखों के वारे न्यारे करते हैं, 
अय्याशियों के अड्डे होते हैं और अपने स्वार्थ के लिए देश को खोखला करते हैं.
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