
हदीसी हादसे
झूठा अनस कहता है एक अरबी क़हत साली के आलम में मस्जिद में मुहम्मद से बयान किया कि या रसूल अल्लाह हम लोग भयानक कहत का सामना कर रहे हैं, अल्लाह से दुवा कीजे कि पानी बरसे.
अनस कहता है कि मदीने में मूसला धर बारिश हुई, यहाँ तक कि लोगों के बहुत से घर गिरने लगे. वह अगले जुमे को आया और अर्ज़ किया कि या रसूल अल्लाह बरसात रोकिए कि हम तबाह हो रहे है. मुहम्मद ने हाथ उठा कर दुआ की तो मदीने से बदल छत गए.
अरब में इस क़दर बरसात आलमी तवारीख में तो नहीं हुई कि बाढ़ जैसे हालत हो जाएँ.
बुखारी ४७५
मुहम्मद कहते हैं कि अगर उनको अपनी उम्मत की तकलीफ का ख़याल न होता तो वह हर नमाज़ से पहले उनसे मिस्वाक कराते .
*रमजानों में मिस्वाक दिन भर नहीं क्यूंकि अल्लह रोज्दारों के मुंह की बदबू को पसंद करता है.
बुखारी ४८३-४८४
मुहम्मद बयक वक़्त दो बातें करते है जो आपस में मुख्तलिफ होती हैं, जुमे के रोज़ मदीने के गरीब मजदूरों के जिस्म से पसीने की बदबू को सूंघ कर कहते हैं कि कम से कम आज तो नहा लिया होता. वहीँ दूसरी तरफ मदीने के मुज़ाफ़त से आने वाले नमाजियों से कहते है कि तुम्हारे गर्द आलूद कपड़ों को देख कर अल्लह तुम पर दोज़ख की आग हरम कर देगा.
मुहम्मद को हर वक़्त बोलते रहना है चाहे बात में ताजाद ही क्यूं न हो.
बुखारी ४९०
बण्डल बाज़ सहाबी अनस कहता है कि मुहम्मद पहले मस्जिद के खम्बे में टेक लगा कर खुतबा दिया करते, फिर जब मिम्बर तैयार हो गया तो उसमें टेक लगा कर बोलते.
आगे कहता है कि उस मिम्बर से ऐसी रोने की आवाज़ आती थी गोया दस महीने की गाभिन ऊंटनी की रोने की आवाज़ आती हो.
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