Tuesday 12 July 2016

बांग-ए-दरा -31


बांग-ए-दरा

मैजिक आई

अल्ताफ हुसैन 'हाली'(हलधर) कहते हैं अँधेरा जितना गहरा होता है, मैजिक आई उतनी ही चका चौंध और मोहक लगती है. हाली साहब सर सय्यद के सहायकों में एक थे, रेडियो कालीन युग था जब रेडयो में एक मैजिक आई हुवा करती थी, श्रोता गण उसी पर आँखें गडोए रहते थे. हाली का अँधेरे से अभिप्राय था निरक्षरता. कहते हैं कि चम्मच से खाने पर भी मुल्लाओं का कटाक्ष है जब कि यह साइंसटिफिक है, क्यूँकि इंसान की त्वचा बीमारी के कीटाणुओं को आमन्तिरित करती है. 
सर सय्यद को मुल्लाओं ने काफ़िर होने का फ़तवा दे दिया था. पता नहीं मौलाना हाली को बख्शा या नहीं.
कुरआन का सपाट तर्जुमा और उस पर बेबाक तबसरा पहली बार शायद अपने भारतीय माहौल में मैंने किया है. मेरे विश्वास पात्र सरिता मैगज़ीन के संपादक स्वर्गीय विश्व नाथ जी ने कहा इतना तो मैं भी समझता हूँ जो तुम समझते हो मगर इसका फायदा क्या? मुफ्त में अंगार हाथ में ले रहे हो और मेरे लेख की पंक्तियाँ उन्हें अंगार लगीं, सरिता में जगह देने से इंकार कर दिया. 
कुरआन को नग्नावस्था में देखने के बाद कुकर्मियों की रालें टपक पड़ती हैं कि एक अनपढ़, उम्मी का नाम धारण करके अगर इतना बड़ा पैगम्बर बन सकता है तो मैं क्यूँ नहीं ? न बड़ा तो मिनी पैगम्बर ही सही. गोया चौदह सौ सालों से मुहम्मद की नकल में जगह जगह मिनी पैगम्बर कुकुर मुत्ते की तरह पैदा हो रहे हैं. इसी सिलसिले के ताज़े और कामयाब पैगम्बर मिर्ज़ा गुलाम अहमद कादियानी हुए हैं. यह मुहम्मद की ही भविष्य वाणी के फल स्वरुप हैं कि 
'' ईसा एक दिन मेहदी अलैहिस्सलाम बन कर आएँगे और दज्जाल को क़त्ल कर के इस्लाम का राज क़ायम करेंगे .'' 
मिर्ज़ा ने मुहम्मद की बकवास का फ़ायदा उठाया, 
और बन बैठे'' मेंहदी अलैहिस्सलाम'' 
क़दियानियों की मस्जिदें तक कायम हो गईं, वह भी पाकिस्तान लाहोर में. उसमें इस्लामी कल्चर के मुवाफिक क़त्ल ओ ग़ारत गरी भी होने लगी. 
पिछले दिनों ७२ अहमदिए शहीद हुए. उस शहादत की याद आती है जब मुहम्मद का वंश कर्बला में अपने कुकर्मों का परिणाम लिए इस ज़मीन से उठ गया था, वह भी ७२ थे.
उम्मी (निरक्षर) मुहम्मद सदियों पहले अंध वैश्वासिक युग में हुए. उन्होंने इर्तेक़ा (रचना क्रिया) के पैरों में ज़ंजीर डाल कर युग को और भी सदियों पीछे ढकेल दिया. इस्लाम से पहले अरब योरोप से आगे था, खुद इसे योरोपियन दानिश्वर तस्लीम करते हैं और अनजाने में मुस्लिम आलिम भी मगर मुहम्मद ने सिर्फ अरब का ही नहीं दुन्या के कई टुकड़ों का सर्व नाश कर दिया.
युग का अँधेरा दूर हो गया है, धरती के कई हिस्सों पर रातें भी दिन की तरह रौशन हो गई मगर मुहम्मद का नाज़िला ( प्रकोपित) अंधकार मय इस्लाम अपनी मैजिक आई लिए मुसलमानों को सदियों पुराने तमाशे दिखा रहाहै.
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