Saturday 1 October 2016

बांग-ए-दरा 109


बांग ए दरा 

गवाही 
मुसलमान अलल एलान झूटी गवाही दिन में पांच बार देता चला आया है 
तो उस पर कोई इलज़ाम, कोई मुक़दमा नहीं? 
वह गवाही है इस्लामी अज़ान. अज़ान का एक जुमला मुलाहिजा हो - - -
''अशहदो अन्ना मुहम्मदुर रसूलिल्लाह''
अर्थात '' मैं गवाही देता हूँ कि मुहम्मद अल्लाह के दूत हैं''
अल्लाह को किसने देखा है कि वह मुहम्मद को अपना रसूल बना रहा है और किसने सुना है? कौन है और कितने हैं?
 चौदह सौ सालों के उम्र वाले आज जो जिंदा हैं ?
इस वाकेए के गवाह जो चिल्ला चिल्ला कर गवाही दे रहे हैं
''अशहदो अन्ना मुहम्मदुर रसूलिल्लाह''
दुन्या की हज़ारों मस्जिदों में लाखों मुहम्मद के झूठे गवाह,
 झूठे राम चन्द्र परम हँस से भी गए गुज़रे हैं. जिसने अदालत में झूटी गवाही दी थी .
मुसलामानों!
गौर करो क्या तुम को इस से बढ़ कर तुम्हारी नादानी का सुबूत चाहिए? 
तुम तो इन गलीज़ ओलिमा के जारीए ठगे जा रहे हो. अपनी आँखें खोलो .
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मुनाफ़िक़
"मुनाफ़िक़ वह लोग हुवा करते थे जो मुहम्मदी तहरीक में अपनी अक्ल का दख्ल भी रखते थे, आँख बंद कर के मुहम्मद की हाँ में हाँ नहीं मिलाया करते थे, मुहम्मद की जिहालत और ला इल्मी पर मुस्कुरा दिया करते थे और उनको टोक कर बात की इस्लाह कर दिया करते थे. 
बस ऐसे मुसलमान हुए लोगों से बजाए इसके कि खुदसर मुहम्मद उनके मशविरों का कुछ फ़ायदा उठाएँ, सीधे उनको जहन्नमी कह दिया करते थे. 
काफ़िर तो खुले मुखालिफ थे ही, उनसे जेहाद का एलान था 
मगर यह मुनाफ़िक़ जो छिपे हुए दुश्मन थे वह हमेशा मुहम्मद के लिए सर दर्द रहे. 
यह अक्सर समझदार, तालीम याफ्ता और साफिबे हैसियत हुवा करते थे. 
होशियार मुहम्मद को डर लगा रहता कि कही इन में से कोई इन से आगे न हो जाए 
और इनकी पयंबरी झटक न ले, इस लिए क़ुरआन में इन को कोसते काटते ही इन की कटी.
मुहम्मद का क़ुरआनी अंदाज़-ए-बयान एक यह भी है कि 
उनकी बात न मानने वाला सब से बड़ा ज़ालिम होता है, 
अक्सर क़ुरआन में यह जुमला आता है 
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