Friday 30 September 2016

बांग-ए-दरा 108


बांग ए दरा

इस्लामी अफीम  हैं कुरानी आयतें 

 अगर मर गए या मारे गए तो बिल ज़रुरत अल्लाह के पास ही जमा होगे. 
इस बीसवीं सदी में ऐसी अंध विशवासी बातें? अल्लाह इंसानी लाशें जमा करेगा ?
दोज़ख सुलगाने के लिए? अल्लाह अपने नबी मुहम्मद कि तारीफ करता है कि 
अगर वह तुनुक और सख्त मिजाज होते तो सब कुछ मुन्तशिर हो गया होता? 
यानि कायनात का दारो मदार उम्मी मुहम्मद पर मुनहसर था ,
इसी रिआयत से ओलिमा उनको सरवरे कायनात कहते हैं. 
मुहम्मद को अल्लाह सलाह देता है कि खास खास उमूर पर मुझ से राय ले लिया करो. 
गोया अल्लाह एक उम्मी, दिमागी फटीचर को मुशीर कारी का अफ़र दे रहा है. 
अस्ल में इस्लामी अफीम पिला पिला कर आलिमान इसलाम ने 
मुसलमानों को दिमागी तौर पर फटीचर बना दिया है.
नबूवत अल्लाह के सर चढ़ कर बोल रही है, 
वक़्त के दानिश वर खून का घूट पी रहे हैं कि जेहालत के आगे सर तस्लीम ख़म है. 
मुहम्मद मुआशरे पर पूरी नज़र रखे हुए हैं .
एक एक बागी और सर काश को चुन चुन कर ख़त्म कर रहे हैं या फिर ऐसे बदला ले रहे हैं कि दूसरों को इबरत हो. 
हदीसें हर वाकिए की गवाह हैं और कुरान जालिम तबा रसूल की फितरत का, 
मगर बदमाश ओलिमा हमेशा मुहम्मद की तस्वीर उलटी ही अवाम के सामने रक्खी. 
इन आयातों में मुहम्मद कि करीह तरीन फितरत की  बदबू आती है, 
मगर ओलिमा इनको, इतर से मुअत्तर किए हुए है.
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