Wednesday 26 October 2016

hadeesi hadse 433




हदीसी हादसे 

बुखारी ९६3 
बाज़ार में मुहम्मद को छेड़ते हुए एक शख्स ने उनके पीछे से आवाज़ दी "अबू कासिम !"
मुहम्मद ने गर्दन मोड़ कर पीछे देखा तो आवाज़ देने वाले ने कहा " मैं ने आप को नहीं बुलाया, कोई और है."
मुहम्मद ने कहा "मेरा नाम रखा जा सकता है, मेरी कुन्नियत नहीं."
* मुहम्मद की कद्रो-कीमत ऐसी थी कि लोग राह चलते उन्हें छेड़ते.
बुखारी ९४१
मुहम्मद की बीवी खदीजा ने अपने शौहर से पूछा कि लोग गोश्त हमें भेज देते है, पता नहीं हलाल होता भी है ? मुहम्मद ने कहा बिस्मिल्लाह करके खा लिया करो.
*मगर आजका मुसलमान ग़ैर हलाल गोश्त को किसी हाल में नहीं खायगा,भले शराब गले तक पी ले.                          
बुखारी ९४६
मुहम्मद कहते है कि अपने हाथ की कमाई हुई रोज़ी ही सब से बढ़ कर है. आगे कहते हैं कि दाऊद खुद मशक्क़त की रोज़ी कमाते थे.
*पहली बात तो ठीक है मगर दाऊद एक लुटेरा डाकू से बादशाह बन गया, आप जनाब इसकी हकीकत से नावाकिफ़ हैं.बस उड़ाते हैं.
बुखारी ९५६
सहाबी जाबिर कहता है कि एक जिहाद के बाद मैं मुहम्मद के साथ घर वापस हो रहा था, मुहम्मद ने पूछा कि शादी कर लिया है?
मैंने कहा हाँ,
कहा कुंवारी से या ब्याहता से?
मैं ने कहा ब्याहता से . 
कहने लगे कुंवारी से किया होता, तुम उसके साथ खेलते, वह तुमहारे साथ खेलती.
*इसी वजेह से इन्हें रंगीला रसूल कहा जाता है. और ओलिमा इन्हें बेवाओं का मसीहा बतलाते हैं.


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