
बांग ए दरा
सूरह कौसर
खुद साख्ता रसूल की बयक वक़्त नौ बीवियाँ थीं. इनके आलावा मुताअददित लौंडियाँ और रखैल भी हुवा करती थीं. जिनके साथ वह अय्याशियाँ किया करते थे. उनमें से ही एक मार्या नाम की लौड़ी थी, जो हामला हो गई थी. मार्या के हामला होने पर समाज में चे-में गोइयाँ होने लगी कि जाने किसका पाप इसके पेट में पल रहा है? बात जब ज्यादः बढ़ गई तो मार्या ने अपने मुजरिम पर दबाव डाला, तब मुहम्मद ने एलान किया कि मार्या के पेट में जो बच्चा पल रहा है, वह मेरा है.
ये एलान रुसवाई के साथ मुहम्मद के हक में भी था कि खदीजा के बाद वह अपनी दस बीवियों में से किसी को हामला न कर सके थे गोया अज सरे नव जवान हो गए(अल्लाह के करम से).
बहरहाल लानत मलामत के साथ मुआमला ठंडा हुआ. इस सिलसिले में एक तअना ज़न को मुहम्मद ने उसके घर जाकर क़त्ल भी कर दिया.
नौ महीने पूरे हुए, मार्या ने एक बच्चे को जन्म दिया, मुहम्मद की बांछें खिल गई कि चलो मैं भी साहिबे औलादे नारीना हुवा. उन्होंने लड़के की विलादत की खुशियाँ भी मनाईं. उसका अक़ीक़ा भी किया, दावतें भी हुईं. उन्हों ने बच्चे का नाम रखा अपने मूरिसे आला के नाम पर 'इब्राहीम'
इब्राहीम ढाई साल की उम्र पाकर मर गया, एक लोहार की बीवी को उसे पालने के किए दे दिया था, जिसके घर में भरे धुंए से उसका दम घुट गया था.
खुली आँखों से जन्नत और दोज़ख देखने वाले और इनका हाल बतलाने और हदीस फ़रमाने वाले अल्लाह के रसूल के साथ उनके मुलाज़िम जिब्रील अलैहिस्सलाम ने उनके साथ कज अदाई की और अपने प्यारे रसूल के साथ अल्लाह ने दगाबाज़ी कि उनका ख्वाब चकनाचूर हो गया.
मुहल्ले की औरतों ने फब्ती कसी " बनते हैं अल्लाह के रसूल और बाँटते फिरते है उसका पैगाम, बुढ़ापे में एक वारिस हुवा, वह भी लौड़ी जना, उसको भी इनका अल्लाह बचा न सका. मुहम्मद तअज़ियत की जगह तआने पाने लगे. बला के बेशर्म और ढीठ मुहम्मद ने अपने हरबे से काम लिया, और अपने ऊपर सूरह कौसर उतारी
अल्लाह उनको तसल्ली देता है कि तुम फ़िक्र न करो मैं तुमको, (नहीं! बल्कि आपको) इस हराम जने इब्राहीम के बदले जन्नत के हौज़ का निगरान बनाया, आकर इसमें मछली पालन करना.
अच्छा ही हुवा लौंडी ज़ादा गुनहगार बाप का बेगुनाह मासूम बचपन में जाता रहा वर्ना मुहम्मदी पैगम्बरी का सिलसिला आज तक चलता रहता और पैगम्बरे आखिरुज्ज़मां का ऐलान भी मुसलमानों में न होता.
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