Sunday 30 October 2016

बांग-ए-दरा 136




बांग ए दरा 

छुटकारा

गौर करो कि जिस अल्लाह की तुम बंदगी करते हो वह किस क़दर आतिशी है?
कितना ज़बरदस्ती करने वाला?
कैसा ज़ालिम तबा? है ?
इससे पल झपकते ही छुटकारा पा सकते हो.
बस मुहम्मद से नजात पा जाओ. 
मुहम्मद जो सियासत दान है, कीना परवर है, इक्तेदार का भूका है, शर्री और बोग्ज़ी है. 
इसकी बड़ी बुराई और जुर्म ये है कि ये मुजस्सम झूठा शैतान है.
मुहम्मदी अल्लाह उसी की पैदा की हुई नाजायज़ औलाद है.
अगर मैं आज अल्लाह का रसूल बन जाऊँ तो मेरी दुआ कुछ इस तरह होगी - - -
"ऐ रसूल! तू मेरे बन्दों को आगाह कर कि ये दुनयावी ज़िन्दगी आरज़ी है और आख़िरी भी. इस लिए इसको कामयाबी के साथ जीने का सलीक़ा अख्तियार कर.
"ऐ बन्दे! तू सेहत मंद बन और अपनी नस्लों को सेहत मंद बना, 
उसके बाद तू कमज़ोरों का सहारा बन. "
ऐ बन्दे! हमने अगर तुझे दौलत दी है तो तू मेरे बन्दों के लिए रोज़ी के ज़राए पैदा कर.
"ऐ बन्दे ! हमने तुझे अगर ज़ेहन दिया है तो तू लोगों को इल्म बाँट,
"ऐ बन्दे! तू मेरी मख्लूक़ को जिस्मानी, ज़ेहनी और माली नुसान मत पहुँचा, 
ये अमल तुझे और तेरी नस्लों को पामाल करेगा.
"ऐ बन्दे! बन्दों के दुःख दर्द को समझ, यही तेरी ज़िंदगी की अस्ल ख़ुशी है. 
"ऐ बन्दे! तू मेरे बन्दों का ही नहीं तमाम मख्लूक़ का ख़याल रख 
क्यूंकि मैंने तुझे अशरफुल मख्लूकात बनाया है.
"ऐ बन्दे! मखलूक का ही नहीं बल्कि तमाम पेड़ पौदों का भी ख़याल रख 
क्यूंकि ये सब तेरे फ़ायदे के लिए हैं.
"ऐ बन्दे! साथ साथ इस धरती का भी ख़याल रख 
क्यूंकि यही सब जीव जंतु औए पेड़ पौदों की माँ है.
"ऐ बन्दे! तू कायनात का ही एक जुज़्व है, इसके सिवा कुछ भी नहीं.
"ऐ बन्दे! तू अपनी ज़िन्दगी को भरपूर खुशियों से भर ले 
मगर किसी को ज़रर पहुँचाए बगैर.
*****


No comments:

Post a Comment