Saturday 29 October 2016

बांग-ए-दरा 135



बांग ए दरा 

नक़लची बन्दर 

ज़रा गौर करो कि नमाज़ में तुम अल्लाह के हुक्म नामे को दोहरा रहे हो. 
अगर कोई हाकिम हैं और अपने अमले को कोई हुक्म जारी करता है, 
तो अमला रद्दे अमल में हुक्म की तामील करता है या हुक्म नामे को पढता है? 
हुक्म नामे को पढना गोया हाकिम होने की दावा दारी करने जैसा है. 
अल्लाह के कलाम को दोहराना क्या अल्लाह की नकल करने जैसा नहीं है? 
अल्लाह कहता है - - -
आप अपने परवर दिगार के नाम की तस्बीह कीजिए,
जिसने बनाया, फिर ठीक बनाया, जिसने तजवीज़ किया, फिर राह बताई,
और जिसने चारा निकाला और फिर उसको स्याह कोड़ा कर दिया,
हम वादा करते हैं की हम कुरआन आपको पढ़ा दिया करेगे,
फिर आप नहीं भूलेगे मगर जिस कद्र अल्लाह को मंज़ूर हो,
और उसकी कही बात को तुम उसके सामने दोहराते हो गोया ?
अल्लाह बन कर अल्लाह को चिढाते हो? कहते हो कि
 "हम वादा करते हैं की हम कुरआन आपको पढ़ा दिया करेगे,"
मुसलमानी दिमाग का हर कल पुर्जा ढीला है, 
यह अंजाम है जाहिल रसूल की पैरवी का.
यहूदी अपने इलोही का नाम बाइसे एहतराम लिखाते नहीं 
और मुसलमान अल्लाह बन कर उसके हुक्म की नकल करके उसकी खिल्ली उडाता है.

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