
हदीसी हादसे
बुखारी ८९८
एक शख्स आया और मुहम्मद से कहा
मैं तो मर गया, रोज़े के आलम में बीवी के साथ मुबाश्रत कर बैठा?
मुहम्मद ने उससे पूछा तुम दो गुलाम आज़ाद कर सकते हो?
कहा नहीं.
पूछा दो महीने रोज़े रख सकते हो?
बोला नहीं.
फिर पूछा ६० मोहताजों को खाना खिला सकते हो? बोला नहीं.
इसी दौरान एक थैला सदक़े का खजूर कोई ले आया, मुहम्मद ने थैला किसी को थमाते हुए कहा ये लो सदक़ा गरीबों में तकसीम करदो.
वह बोला या रसूल अल्लाह मुझ से बड़ा गरीब मदीने में कोई नहीं.
मुहम्मद मुस्कुरा पड़े और उसे दे दिया कि लो अपने बच्चों को खिलाओ.
*ऐसी भी हुवा करती थी मुहम्मदी उम्मत .
No comments:
Post a Comment