Thursday 8 September 2016

बांग-ए-दरा 86




बांग ए दरा 

बा बरकत आयत 

सूरह यासीन कुरआन की चर्चित सूरह है. 
इस की  चर्चा ये है कि ये बहुत ही बा बरकत फायदों  से भरपूर है. 
मुसलमान इसे कागज़ पर मुल्ला से लिखवा के पानी में घोल कर पीते हैं. 
इस की अब्जद लिखवा कर गले में तावीज़ बना कर पहनते हैं. 
इस के तुगरा दीवार पर लगा कर घरों को आवेज़ां करते हैं.
मैं एक हार्ट स्पेशलिस्ट के पास खुद को दिखलाने गया, उन्हों ने मुझे नाम से मुस्लिम जान कर दीवार पर सजी सूरह यासीन को बुदबुदाने के बाद मेरा मुआएना किया. 
वह मुलिम अवाम का जज़्बाती इस्तेसाल करते हैं. 
ऐसे ही एक हिन्दू डाक्टर के पास गया तो मुझे देखने से पहले हाथों को जोड़ कर ॐ नमस् शिवाय का जाप किया. ये हिदू और मुसलमान दोनें डाक्टर पक्के ठग हैं.
 अवाम बेदार नहीं हुई कि समझे कि मेडिकल साइंस का आस्थाओं से क्या वास्ता है.
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शैतानुर्रजीम

हुक्म है कि हर काम अल्लाह के नाम से शुरू किया जाय. 
यानी "बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम" पढने के बाद। 
किसी जानदार को हलाल करो तब भी पहले मुँह से निकले बिस्मिल्लाह - - - खुद कुरान पाठ में भी इस बात का एहतेमाम है। 
मगर कारी पहले पढता है
 "आऊजो बिल्लाहे-मिनस-शैतानुर्रजीम"
 जिसका मतलब है "अल्लाह की पनाह चाहता हूँ उस मातूब (प्रकोपित) किए गए शैतान से" 
यहाँ पर शैतान ने अल्लाह मियाँ को भी गच्चा दे दिया कि क़ुरआन पाठ से पहले उसका नाम लेना पड़ता है, यानी उसकी हैबत से डर के, बाद में अल्लाह मियाँ का मम्बर आता है. 
ये है मुहम्मद की अकले-कोताह का नमूना. 
ऐसी बहुत सी गलतियाँ अल्लाह के कलाम में हैं जो बदली नहीं जा सकतीं. इसी तरह इस्लामी नअरा है 
"नअरे तकबीर-अल्लाह हुअकबर" 
यानी तकब्बुर (घमंड) का नारा, अल्लाह बड़ा है. 
सवाल उठता है अल्लाह बड़ा है तो छोटा कौन है? 
बड़ा कहने का इशारा होता है कि इससे छोटा भी कोई है? 
यहाँ पर भी अल्लाह के मुकाबिले में छोटा अल्लाह यानी शैतान खड़ा हुवा है. 
दोनों की खस्लतें भी एक जैसी हैं. दोनों हर जगह मौजूद हैं. 
दोनों इंसान के हर अमल में दख्ल रखते हैं. क़ुरआन बार बार कहता है "अल्लाह जिसको गुमराह करता है उसको राहे-रास्त पर कोई नहीं ला सकता." 
शैतान भी लोगों को गुमराह करता है. 
मुसलमानों! 
शैतान को कहो
"अल्लाह-हुअसगर" 
यानी छोटे अल्लाह मियाँ.



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