Wednesday 7 September 2016

Hadeesi Hadse 226


हदीसी हादसे 

बुखारी ७७४- ७७५-
मुहम्मद बुत भरे काबा में गए, गोया बुत खाना में गए. लोगों ने उनसे दरयाफ्त किया, वह इंकार कर गए. यानी सरीहन झूट बोले.लोगों ने उनके झूट को नज़र कर दिया.
* खनेइकब में ३६० बुत थे जोकि उस वक़्त की दुन्या की तमाम तहजीबों की अलामतें थीं. इब्राहीम और इस्माईल की तस्वीरे राम की तरह तीर ओ कमान की थीं, जिससे ज़ाहिर है कि वह लोग उस से शिकार करते थे. मुहम्मद ने उन सभी को हटा दिया था, उसके बाद काबे में दाखिल होकर हवाई बुत की नमाज़ें पढ़ीं.

बुखारी ७७६-७७-७८-७९-८०
फतह मक्का के बाद जब मुस्लिम हज शुरू हुवा तो मुहम्मद ने लोगों को कहा कि काबे की पहली तीन तवाफे फातेह की तरह अकड कर किया करें, खुद भी वह अकड कर चलते थे. बाद में लोगों को ये किब्रयाई रास न आई और उनका हुक्म ज़ायल हो गया.

बुखारी ७१३-१४
सैकड़ों हदीसें ज़कात ओ खैरात और सदके की हैं, वह वक़्त का तक़ाज़ा रहा होगा. उनमें से ही एक हदीस जो मुझे जमी, है कि "तुम में से किसी शख्स का रस्सी लेकर जंगल जाना और लकड़ी लाद कर लाना बेहतर रोज़ी हैं कि तुम कोई चीज़ तलब करो और ज़बान खली जाए."

बुखारी ७१५-
हकीम इब्ने-हुज्ज़ाम ने एक बार मुहम्मद से कुछ तलब किया जिसे मुहम्मद ने उन्हें दे दिया. दोबारा फिर तलब किया, फिर दे दिया, मगर देने के बाद उनको इसका आदि न होने का सबक इस तरह से दिया कि  उसके बाद हकीम साहब ने मरते दम तक किसी से कुछ तलब न किया, यहाँ तक कि अबू बकर और उमर  का दौर आया और उन लोगों ने उन्हें इमदाद करनी चाही मगर उनकी गैरत कायम रही.



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