
बांग ए दरा
" तुझको उन लोगों का क़िस्सा तहकीक़ नहीं हुवा ?
जो अपने घरों से निकल गए थे और वह लोग हजारो थे, मौत से बचने के लिए.
सो अल्लाह ने उन के लिए फ़रमाया कि मर जाओ,
फिर उन को जला दिया.
बे शक अल्लाह ताला बड़े फज़ल करने वाले हैं लोगों पर
मगर अक्सर लोग शुक्र नहीं करते.".
(सूरह अल्बक्र २ दूसरा पर आयत २४३)
लीजिए अफ़साना तमाम .क्या फ़ज़ले इलाही? उस जालिम अल्लाह का यही ही जिस ने अपने बन्दों को बे यारो मददगार करके जला दिया ? ये मुहम्मद कि ज़लिमाना फ़ितरत की लाशुऊरी अक्कासी ही है जिसको वह निहायत फूहड़ ढंड से बयान करते हैं.
मुसलमानों! खुदा के लिए जागो,
वक्त की रफ़्तार के साथ खुद को जोडो,
बहुत पीछे हुए जा रहे हो ,
तुम ही न बचोगे तो इस्लाम का मतलब?
यह इसलाम, यह इस्लामी अल्लाह, यह इस्लामी पयम्बर, सब एक बड़ी साजिश हैं,
काश समझ सको.
इसके धंधे बाज़ सब के सब तुम्हारा इस्तेसाल (शोषण) कर रहे है.
ये जितने बड़े रुतबे वाले, इल्म वाले, शोहरत वाले, या दौलत वाले हैं, सब के सब कल्बे स्याह, बे ज़मीर, दरोग गो और सरापा झूट हैं.
इसलाम तस्लीम शुदा गुलामी है,
इस से नजात हासिल करने की हिम्मत जुटाओ,
ईमान जीने की आज़ादी है, इसे समझो और मोमिम बनो.
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