Tuesday, 13 September 2016

बांग-ए-दरा 91




बांग ए दरा 

अमरीकी प्रोफेसर सय्यद वकार अहमद हुसैनी 

अमरीकी प्रोफेसर सय्यद वकार अहमद हुसैनी कहते हैं 
"कुरान की 6226 आयातों में से 941 पानी के विज्ञानं और इंजीनयरिंग से संबध हैं, 1400 अर्थ शास्त्र से, जब कि केवल 6 रोजे से हैं और 8 हज से।"
प्रोफेसर हुसैनी का ये सफेद झूट है, या प्रोफ़सर हुसैनी ही फर्ज़ी अमरीकी प्रोफ़सर हैं, जैसा कि ये धूर्त इस्लामी विद्वान् अक्सर ऐसे शिगूफे छोड़ा करते हैं । 
कुरआन कहता है
"आसमान ज़मीन की ऐसी छत है जो बगैर खंभे के टिका हुआ है. 
ज़मीन ऐसी है कि जिस में पहाडों के खूटे ठुके हुए हैं 
ताकि यह अपनी जगह से हिले-डुले नहीं" और 
"इंसान उछलते हुए पानी से पैदा हुवा है" 
क़ुरआन में यह है इंजीनयरिंग और पानी का विज्ञान जैसी बातें। 
इसी किस्म के ज्ञान (दर अस्ल अज्ञान) से क़ुरआन अटा पडा है 
जिस पर विश्वास के कारण ही मुस्लिम समाज पिछड़ा हुवा है. 
मलऊन ओलिमा इन जेहाल्तो में माने-व्-मतलब पिरो रहे हैं. 
हकीक़त ये है कि  क़ुरआन और हदीस में इंसानी समाज के लिए बेहद हानि कारक, अंधविश्वास पूर्ण और एक गैरत मंद इंसान के लिए अपमान जनक बातें हैं, 
जिन्हें यही आलिम उल्टा समझा समझा कर मुस्लिम अवाम को गुमराह किया करते है।
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