Wednesday 21 September 2016

Hadeesi Hadse 428


 हदीसी हादसे

बुखारी ४४२ 

किसी ने मुहम्मद से पूछा कि क्या क़यामत के दिन हम लोग अल्लाह का दीदार कर सकते हैं? जवाब था कि क्या बगैर अब्र छाए चाँद को देखने में तुम्हें कोई शक है? लोगों कहा कहा नहीं नहीं. फिर मुहम्मद ने कहा बस क़यामत के दिन बिना शक शुबहा अल्लाह का दीदार होगा. हिदायत होगी हर गिरोह उसके साथ हो जाय जिसकी इबादत करता था, बअज़ आफ़ताब के साथ होंगे, बअज़ माहताब. बअज़ शयातीन ले साथ, अलगरज़ सिर्फ यही उम्मत मय मुनाफ़िकीन के बाकी रहेगी. इस वक़्त खुदाय तअला इनके सामने आयगा. इरशाद होगा हम तुम्हारे रब है, वह कहेगे हम पहचानते हैं. इसके बाद दोज़ख पर पुल रखा जायगा. तमाम रसूलों में जो सब से पहले इस पुल से गुजरेंगे वह मैं हूँगा. इस दिन सब रसूलों का कौल होगा "ऐ खुदा हम को सलामत रखना. ऐ खुदा हम को सलामत रखना. " दोज़ख में सादान के काँटों के मानिंद आंकड़े होंगे. अर्ज़ होगा, हाँ! 
फ़रमाया बस वह सादान के काँटों की तरह ही हैं इनके बड़े होने का मिकदार खुदा ही जनता है. 
हर एक के आमाल के मुताबिक वह खीँच लेगे - - - 
*तहरीर बेलगाम बहुत तवील है जिसे न हम झेल पा रहे है न आप ही झेल पाएँगे. इसका सारांश क्या है ? एक पागल की बड़ जो फिल बदी बकता चला जाता है. 
मुसलमान इसी में उलझे हुए हैं की ये बला है क्या ? 

बुखारी ३९५ -४०४

कठ्बैठे मुहम्मद कहते हैं "जो शख्स नमाज़ में पेश इमाम से पहले सजदे से सर उठता है, उसको इस बात का खौफ़ नहीं रहता कि खुदा उसका सर गधे के सर की तरह कर देगा ." 
*नमाज़ों की पाबंदी रखने वाला मुसलमान सजदे में पड़ा हुआ है, उसे कैसे मालूम हो कि पेश इमाम ने सर उठाया या नहीं. मगर मुहम्मदी अल्लाह सब के सरों की निगरानी करता रहता है. वह ज़ालिम दरोगा की तरह बन्दों की हरकत पर नज़र किए रहता है. इसी तरह मुहम्मद कहते हैं कि "नमाज़ों में अपनी सफ्हें सही कर लिया करो वर्ना अल्लाह तअला तुम्हारे चेहरों में मुखालफत कर देगा." 
इससे मुसलामानों को जिस कद्र जल्द हो सके पीछा छुडाएं , 
 बुखारी ३८० 
मुहम्मद ने कहा "जो शख्स सुब्ह ओ शाम जब नमाज़ के लिए जाता है तो अल्लाह उस के लिए जन्नत में तय्यारी करता है." 
*मुहम्मदी अल्लाह को कायनात की निजामत से कोई मतलब नहीं, वह ऐसे की कामों में लगा रहता कि कौन शख्स क्या कर रहा है. 

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