
बांग ए दरा
कोई अच्छी बाते है ?
कुरान में कीडे निकलना भर मेरा मकसद नहीं है,
बहुत सी अच्छी बातें हैं, इस पर मेरी नज़र क्यूँ नहीं जाती?"
अक्सर ऐसे सवाल आप की नज़र के सामने मेरे खिलाफ कौधते होंगे.
बहुत सी अच्छी बातें, बहुत ही पहले कही गई हैं,
एक से एक अज़ीम हस्तियां और नज़रियात इसलाम से पहले इस ज़मीन पर आ चुकी हैं
जिसे कि कुरानी अल्लाह तसव्वुर भी नहीं कर सकता.
अच्छी और सच्ची बातें फितरी होती हैं जिनहें आलमीं सचचाइयाँ भी कह सकते हैं.
कुरान में कोई एक बात भी इसकी अपनी सच्चाई या इन्फरादी सदाक़त नहीं है.
हजारों बकवास और झूट के बीच अगर किसी का कोई सच आ गया हो तो उसको कुरान का नहीं कहा जा सकता,
"माँ बाप की खिदमत करो" अगर कुरान कहता है तो इसकी अमली मिसाल श्रवण कुमार इस्लाम से सदियों पहले क़ायम कर चुका है.
मौलाना कूप मंदूकों का मुतालिआ कुरान तक सीमित है इस लिए उनको हर बात कुरान में नज़र आती है. यही हाल अशिक्षित मुसलमानों का है.
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