Wednesday 28 September 2016

बांग-ए-दरा 106




बांग ए दरा 

बैंकिंग प्रोग्राम 

देखिए मुहम्मद के मुंह से अल्लाह को या अल्लाह के मुंह से मुहम्मद को, 
यह बैंकिंग प्रोग्राम पेश करते हैं 
जेहाद करो - - - अल्लाह के पास आपनी जान जमा करी, 
मर गए तो दूसरे रोज़ ही जन्नत में दाखला, 
मोती के महल, हूरे, शराब, कबाब, एशे लाफानी, 
अगर कामयाब हुए तो जीते जी माले गनीमत का अंबार 
और अगर क़त्ताल से जान चुराते हो का याद रखो 
लौट कर अल्लाह के पास ही जाना है, 
वहाँ खबर ली जाएगी. 
कितनी मंसूबा बंद तरकीब है बे वकूफों के लिए 
." और अल्लाह कि राह में क़त्ताल करो. 
कौन शख्स है ऐसा जो अल्लाह को क़र्ज़ दिया 
और फिर अल्लाह उसे बढा कर बहुत से हिस्से कर दे 
और अल्लाह कमी करते हैं और फराखी करते हैं और तुम इसी तरफ ले जाए जाओगे" 
(सूरह अलबकर-२ तीसरा परा तिरकर रसूल आयत २४४+२४५) 
" अगर अल्लाह को मंज़ूर होता वह लोग (मूसा के बाद किसी नबी की उम्मत)उनके बाद किए हुआ बाहम कत्ल ओ क़त्ताल नहीं करते, 
बाद इसके, इनके पास दलील पहुँच चुकी थी, 
लेकिन वह लोग बाहम मुख्तलिफ हुए 
सो उन में से कोई तो ईमान लाया और कोई काफिर रहा. 
और अगर अल्लाह को मंज़ूर होता तो वह बाहम क़त्ल ओ क़त्ताल न करते 
लेकिन अल्लाह जो कहते है वही करते हैं" 
(सुरह अलबकर-२ तीसरा परा तिरकर रसूल आयत २५३) 
मुहम्मद ने कैसा अल्लाह मुरत्तब किया था? 
क्या चाहता था वह? 
क्या उसे मंज़ूर था? 
मन मानी? 
मुसलमान कब तक कुरानी अज़ाब में मुब्तिला रहेगा ? 
कब तक यह मुट्ठी भर इस्लामी आलिम अपमी इल्म के ज़हर की मार गरीब मुस्लिम अवाम चुकाते रहेंगे, 
मूसा को मिली उसके इलोही की दस हिदायतें आज क्या बिसात रखती हैं, 
हाँ मगर वक़्त आ गया है कि आज हम उनको बौना साबित कर रहे हैं. 
मूसा की उम्मत यहूद इल्म जदीद के हर शोबे में आसमान से तारे तोड़ रही है 
और उम्मते मुहम्मदी आसमान पर खाबों की जन्नत और दोज़ख तामीर कर रही है. 
इसके आधे सर फरोश तरक्की याफ़्ता कौमों के छोड़े हुए हतियार से खुद मुसलमानों पर निशाना साध रहे हैं 
और आधे सर फरोश इल्मी लियाक़त से दरोग फरोशी कर रहे हैं. 
*****


No comments:

Post a Comment