Sunday 11 September 2016

बांग-ए-दरा 88





बांग ए दरा 

क़ुरआन के बारे में - - - 

तौरेती और ऐतिहासिक झलकियाँ 
इंजील दो हिस्सों में तक़सीम है , पहला आदम से लेकर ईसा तक। 
इसे ओल्ड टेस्टामेंट (Old Testament )कहते हैं। 
दूसरा ईसा और ईसा के बाद का जिसे (New Testament ) कहते हैं। 
ईसाई इन दोनों हिस्से को अपनी मुक़द्दस इंजील मानते हैं मगर ,
यहूदियों का सिर्फ पहले हिस्से Old Testament पर ही ईमान है जिसे तौरेत कहते हैं। 
ईसा बज़ात ख़ुद यहूदी थे मगर बुन्याद परस्ती के बाग़ी थे , जैसे भारत में कबीर हुए।  इस लिए यहूद उनको अपने धर्म का दुश्मन मानने लगे। 
मुहम्मद का माहौल यहूदियों से ज़्यादा मुतास्सिर था , इस लिए उन्हों ने बुत परस्तों के बीच में नया मूसा बनने का तरीक़ा अपनाया , इसी लिए इस्लाम में तौरेती अंकुर हैं। इंजील से मुहम्मद काम ही वाक़िफ़ थे इस लिए क़ुरआन में ईसाइयत की झलक कम ही नज़र आते हैं। सूरह मरियम में ही मुहम्मद ने कुछ मनगढ़ंत की है। 
तौरेत 
तौरेत के मानी हैं निज़ाम अर्थात ब्यौवस्थान जो की पाँच हिस्सों में बटी हुई है - - - 
१ - पहले में सृस्टि का और इसपर बसने वाले जीवों का जन्म। 
२- दुसरे में मिस्र से यहूदियों का मिस्र से निष्काशन 
३- तीसरे हिस्से में मिस्र यदूदियों के निष्काशित होने के बाद के हालात। 
४- यहूदियों की जनसंखिया। 
५- धार्मिक रस्म व् रिवाज। 

   कहते हैं कि तौरेत मूसा का ग्रंथ है मगर यह बात पूरी तरह से सच नहीं है , क्यूंकि मूसा के बाद के हालात बज़रिए मूसा कैसे मुमकिन है ? दरअस्ल तौरेत एक ऐतिहासिक ग्रन्थ है जब भी और जिसने भी लिखी हो। 
क़ुरआन अलग अपना ही राग अलापता है कि तौरेत आसमानी किताब है जो मूसा पर उतरी है। 
झलकी नंबर १- 
ख़ुदा की कायनात साज़ी 
खुद ने पहले जन्नत बनाई फिर ज़मीन बनाई।  तब पानी बेतल था और इसके ऊपर अँधेरा था , तब ख़ुदा ने रौशनी को हुक्म दिया और रौशनी हो गई। ख़ुदा को रौशनी अच्छी लगी और उसने उसको अँधेरे से अलग कर दिया।  उजाले को दिन कहा और अँधेरे को रात।  शाम हुई फिर सुब्ह हुई , यह था पहला दिन। 
शाम हुई और फिर सुब्ह हुई , यह था दूसरा दिन।  इस दिन खुद ने ज़मीन बनाया ,फिर आसमान बनाया। 
तीसरे दिन ख़ुदा ने पानी और खुश्की बनाई।  खुश्की को तरह तरह के बीजों से हरा भरा किया यानि ज़मीन पर पेड़ पौदे हुए जिससे खाने पीने का इंतेज़ाम किया। 
चौथे दिन ख़ुदा ने सूरज बनाया ताकि दिन को रौशन किया जा सके , तारे बनाए ताकि बनाए ताकि रात को सजाया जा सके।  
पांचवें दिन ख़ुदा ने पानी की मख़लूक़ और परिंदों की रचना की और इन्हें आशीर्वाद दिया कि फलो फूलो और जल-थल में फैल जाओ। 
छटे दिन ख़ुदा ने ज़मीन पर बसने वाले चौपाए और रेंगने वाले जीव पैदा किए , इसके बाद इसने अपने शक्ल व् सूरत वाला आदमी बनाया जिसे कि जल-थल के तमाम मख़लूक़ पर ग़ालिब किया।  उसने मर्द और औरत बनाया और उनका खैर ख्वाह हुवा कि फूलो फलो और ज़मीन पर फैल जाओ। 
सातवें दिन ख़ुदा अपने बनाए हुए शाहकार पर खुश था , इस दिन इसने आराम किया और इस दिन को आराम का दिन घोषित किया। 
(क़ुरआन में ख़ुदा की इस क़ायनात सजी को मुहम्मद ने अदल-बदल कर पेश किया है ताकि उनके अल्लाह की बात मानी जाय, न कि तौरेत को कंडम किया जा सके )
*****



No comments:

Post a Comment