
बांग ए दरा
सूरह -इंफाल - ८ नौवाँ परा आयत ( 48 )यह है मुसलामानों तुम्हारा क़ुरआन और तुम्हारा दीन जो कि बच्चों को दिल बहलाने के लिए किसी कार्टून फिल्म के किरदार की तरह है.
क्या इसी पर तुम्हारा ईमान है?
क्या तुम इस पर कभी शर्मिंदा नहीं होते?
या तुम को यह सब कुछ बतलाया ही नहीं जाता,
तुमसे क्यूँ यह बातें छिपाई जाती हैं?
या फिर तुम हिन्दुओं के देवी देवताओं की पौराणिक कथाओं को जानते हुए इन बातों को उन से बेहतर मानते हो?
ज़रा सोचो मुहम्मद ने किस समझदार शैतान को तुमको बहकाने के लिए गढ़ा है कि तुम सदियों से उसकी गुमराही में भटकते रहोगे .आँखें खोलो.
उम्मी मुहम्मद गधी मख़लूक़ को समझाते हैं - - - चूँकि शैतान भी अल्लाह से डरता है, इस लिए तुमको भी अल्लाह से डरना चाहिए. और यह मख़लूक़ इस बात को समझ ही नहीं पाती कि बेवकूफ मुहम्मद उससे शैतान की पैरवी करा रहे है.
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