Monday, 21 November 2016

बांग-ए-दरा 153




बांग ए दरा 
2x2 =५
अपने पाठकों को एक बार फिर मैं यकीन दिला दूं कि मैं उसी तबके का जगा हुआ फर्द हूँ जिसके आप हैं. मुझको आप पर तरस के साथ साथ हँसी भी आती है, जब आप हमें झूठा लिखते हैं, जिसका मतलब है आप खुद तस्लीम कर रहे हैं कि आपका अल्लाह और उसका रसूल झूठ है, क्यूँकि मैं तो मशहूर आलिम मौलाना शौकत अली थानवी के क़ुरआनी तर्जुमे को और इमाम बुखारी की हदीस को ही नक्ल करता हूँ और अपने मशविरे में आस्था नहीं अक्ले-सलीम रखता हूँ. मैं मुसलामानों का सच्चा हमदर्द हूँ. दीगर धर्मों में इस्लाम से बद तर बाते हैं, हुआ करें, उनमें इस्लाह-ए- मुआशरा हो रहा है, इसकी ज़रुरत मुसलामानों को खास कर है। अगर आप अकीदे की फ़र्सूदा राह तर्क करके इंसानियत की ठोस सड़क पर आ जाएँ तो, दूसरे भी आप की पैरवी में आप के पीछे और आपके साथ होंगे।
 
चलिए अब अल्लाह की राह पर जहाँ वह मुसलमानों को पहाड़े पढ़ा रहा है 2x2 =५
देखिए कि इंसानी सरों को उनके तनों से जुदा करने के क्या क्या फ़ायदे हैं -
 
''बिला शुबहा बद तरीन खलायाक अल्लाह तअला के नज़दीक ये काफ़िर लोग हैं, तो ईमान न लाएंगे''
सूरह -इंफाल - ८ नौवाँ परा आयत ( ५५)
और खूब तरीन मोमिन हो जाएँ अगर ईमान लाकर तुम्हारे साथ तुम्हारे गढ़े हुए अल्लाह की राह पर खून खराबा के लिए चल पड़ें. जेहालत की राह पर अपनी नस्लों को छोड़ कर मुहम्मदुर रसूलिल्लाह कहते हुए इस से बेहोशी के आलम में रुखसत हो जाएँ.



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