Friday 18 November 2016

बांग-ए-दरा 151


बांग ए दरा 

बहुत सी अच्छी बातें, बहुत ही पहले कही गई हैं

"कुरान में कीडे निकलना भर मेरा मकसद नहीं है बहुत सी अच्छी बातें हैं, इस पर मेरी नज़र क्यूँ नहीं जाती?" 
अक्सर ऐसे सवाल आप की नज़र के सामने मेरे खिलाफ मिलते होंगे. 
बहुत सी अच्छी बातें, बहुत ही पहले कही गई हैं, एक से एक अज़ीम हस्तियां और नज़रियात इसलाम से पहले इस ज़मीन पर आ चुकी हैं जिसे कि कुरानी अल्लाह तसव्वुर भी नहीं कर सकता. 
अच्छी और सच्ची बातें फितरी होती हैं जिनहें आलमीं सचचाइयाँ भी कह सकते हैं. कुरान में कोई एक बात भी इसकी अपनी सच्चाई या इन्फरादी सदाक़त नहीं है. हजारों 
बकवास और झूट के बीच अगर किसी का कोई सच आ गया हो तो उसको कुरान का नहीं कहा जा सकता,
"माँ बाप की खिदमत करो" 
अगर कुरान कहता है तो इसकी अमली मिसाल श्रवण कुमार इस्लाम से सदियों पहले क़ायम कर चुका है. 
मौलाना कूप मंदूकों का मुतालिआ कुरान तक सीमित है इस लिए उनको हर बात कुरान में नज़र आती है. यही हाल अशिक्षित मुसलमानों का है. 


क़ुरान की एक आयत मुलाहिज़ा हो 
''अल्लाह की आयातों को झुटलाने वाले लोग कभी भी जन्नत में न जावेंगे जब तक कि ऊँट सूई के नाके से न निकल जाए.''
अलएराफ़ ७ -आठवाँ पारा आयत (४०)
''ऊँट सूई के नाके से निकल सकता है मगर दौलत मंद जन्नत में कभी दाखिल नहीं हो सकता''
ईसा की नकल में मुहम्मद की कितनी फूहड़ मिसाल है जहाँ अक्ल का कोई नामो निशान नहीं है. शर्म तुम को मगर नहीं आती. 
मुसलमानों तुम ही अपने अन्दर थोड़ी गैरत लाओ.
ईसा कहता है - - -
''ऐ अंधे दीनी रहनुमाओं! तुम ढोंगी हो, मच्छर को तो छान कर पीते हो और ऊँट को निगल जाते हो.'' 
मुवाज़ना करें मुस्लिम अपने कठमुल्ल्ले सललललाहो अलैहे वसल्लम को शराब में तुन रहने वाले ईसा से. 


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