Wednesday 9 November 2016

बांग-ए-दरा 145


बांग ए दरा 

बनी नुजैर

हिम्मत करके सच्चाई का सामना करो. तुमको तुम्हारे अल्लाह का रसूल वर्गाला रहा है. 
अल्लाह का मुखौटा पहने हुए, वह तुम्हें धमका रहा है कि उसको माल दो. 
वह ईमान लाए हुए मुसलामानों से, उनकी हैसियत के मुताबिक टेक्स वसूल किया करता था. इस बात की गवाही ये क़ुरआनी आयतें हैं. 
मुहम्मद ने कोई समाजी, फलाही,खैराती या तालीमी इदारा कायम नहीं कर रखा था कि 
वसूली हुई रक़म उसमे जा सके. 
मुहम्मद के चन्द बुरे दिनों का ही लेकर आलिमों ने इनकी ज़िन्दगी का नक्शा खींचा है
 और उसी का ढिंढोरा पीटा है. 
मुहम्मद के तमाम ऐब और खामियों की इन ज़मीर फरोशों ने पर्दा पोशी की है.
बनी नुज़ैर की लूटी हुई तमाम दौलत को मुहम्मद ने हड़प के अपने नौ बीवियों और
 उनके घरों के लिए वक्फ कर लिया था. 
 उनके बागों और खेतियों की मालगुजारी उनके हक में कर दिया था. 
जंग में शरीक होने वाले अंसारी हाथ मल कर राह गए थे. 
हर जंगी लूट मेल गनीमत में २०% मुहम्मद का हु वा करता था.
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