
हदीसी हादसे
बुख़ारी १ ३ ९ ०
कुछ भी करो मगर अल्लाह से डरो
मुहम्मद कहते हैं कि किसी शख्स ने मरने से पहले वसीयत की थी कि इसे मरने के बाद खाक कर दिया जाए और फिर खाक को बहती हुई हवा के हवाले कर दिया जाए. गोया इसके वरसा ने ऐसा ही किया .
अल्लाह ने इसके तमाम अज्ज़ा को जमा किया फिर इसमें जान डाल दी ,
फिर इस से सवाल किया कि तूने ऐसा क्यों किया ? बन्दे ने जवाब दिया कि तेरे डर से .
और अल्लाह ने इसे बख्श दिया .
*इस किस्म की पुड़िया छोड़ना मुहम्मद का मरगूब शगल था . इनको आलिमी दस्तूर के दीगर रस्मों का इल्म नहीं था कि तहजीबें ज़मीनी मख्लूक़ की गिज़ा के लिए मुरदों को चील कव्वों और गिद्ध के हवाले कर दिया करते हैं और बहरी मख्लूक़ की गिज़ा के लिए लाशों को दरया के हवाले कर दिया करते हैं , वर्ना वह उस पर भी ज़बान खोले बिना न रह पाते .
बुख़ारी १ ३ ७ १
खिजिर का काम
मुहम्मद पुड़िया छोड़ते हैं कि खिजिर अलैहिस्सलाम का नाम खिजिर इस लिए पड़ा कि वह एक साफ चटियल मैदान पर बैठ गए थे , इसी वक़्त वह ज़मीन फ़ौरन हरी भरी हो गई थी .
*इसी बात को अगर कोई दाढ़ी वाला मुसल्मान किसी मुस्लिम महफ़िल में बयान करे तो लोग उसे कठ मुल्ला कहकर उसका मज़ाक़ उडाएँगे , मगर वह जब बतलाए की यह बात हुज़ूर सलल्लाह ने फरमाई है तो उस मुस्लिम महफ़िल का सर अकीदत से झुक जायगा .यही है मुसलामानों की ज़ेहनी नामाकूलियत का मौजूदा सानेहा .
खिजिर , अरबी रवायत के मुताबिक़ एक फ़रिश्ता है जिसके तहत दुन्या के जंगल हुवा करते हैं और वह अमर है जैसा कि हर फ़रिश्ता अमर होता है . इस रवायत में मुहम्मद ने अपने झूट की आमेज़िश कर दी है और मुसलमान इसी को सच मान कर चल रहा है .
बुखारी ९६२
मुहम्मद ने अपनी बीवी आयशा से कहा एक रोज़ कोई लश्कर आएगा कि काबा पर चढ़ाई करने की नियत रख्खेगा, मुकाम बैदा में ज़मीन में धंस जाएगा. आयशा ने पूछा क्या वह लोग भी धंस जाएँगे जिनकी नियत जंग की न होगी, तिजारत की होगी?
*मुहम्मद का जवाब गोल मॉल था, कहा कि क़यामत के दिन सबको उनकी नियत ए नेक या नियत ए बद के हिसाब से उठाया जाएगा
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