Wednesday 2 November 2016

बांग-ए-दरा 138




बांग ए दरा 

 अल्लाह लडाका है? 

कब तक अपने मुसल्ले को लपेट कर अपने बच्चों के कन्धों पर लादते रहोगे? 
कब तक? कितनी सदियों तक? 
दीगर कौमे जब अपने कन्धों पर पंख लगा कर उड़ने लगेंगी, 
तब तो बहुत देर हो चुकेगी. 
मेरे भाइयो ! 
देखो कि क्या कह रहा है तुम्हारा अल्लाह ? 
इसको खामोश करो, इसे अब्दी नींद सुला दो. 
अब और ज्यादा इस जिहालत को इस धरती पर रहने देने की इजाज़त नहीं होना चाहिए.
गौर करो तुम्हारा अल्लाह खुद अपने मुंह से कहता है
,"बेशक आप का रब घात में है"
क्या कोई अल्लाह अपने बन्दों के साथ चाल घात करने वाला होगा?
कहता है, "
न इसके झगड़ने वाले के बराबर झगड़ने वाला कोई निकलेगा, "
तुम्हारा अल्लाह लड़का है? 
ऐसे अल्लाह से पिंड छुडाओ.
*****

कुरआनी तज़ाद 

देखो कि अल्लाह साफ़ साफ़ अपने बाप और अपने औलाद की क़सम खा रहा है, 
जैसे कि मुहम्मद अपने माँ बाप को दूसरों पर कुर्बान किया करते थे, 
वैसे है तो ये उनकी ही आदतन क़सम जिसको बे खयाली में अल्लाह की तरफ़ से खा गए. 
हाँ, तुमको समझने की ज़रुरत है, 
इस बात को कि कुरआन किसी अल्लाह का कलाम नहीं बल्कि मुहम्मद की बकवास है.
अल्लाह कहता है कि उसने इंसान को बड़ी मशक्क़त से पैदा किया. 
है ना ये सरासर झूट कि इसके पहले मुहम्मद ने कहा था कि अल्लाह को कोई काम मुश्किल नहीं बस उसको कहना पड़ता है "कुन" यानि होजा, और वह हो जाता है. 
है न दोहरी बात यानी कुरानी तजाद यानी विरोधाभास. 
किसी खर्राच के खर्च पर मुहम्मद का कलेजा फट रहा है, 
कि शायद उसने अल्लाह का कमीशन नहीं निकाला. 
घाटी के घाटे और मुनाफ़े में अल्लाह क्या कह रहा है, 
सर धुनते रहो. मुहम्मद के गिर्द कोई भी मामूली वाकिया
 कुरआन की आयत बना हुवा है, 
जिसको तुम सुब्ह ओ शाम घोटा करते हो.
*****


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