Wednesday 15 June 2016

Hadeesi Hadse 213





हदीसी हादसे 
बुखारी ३७९

मुहम्मद कहते हैं जब अल्लाह के साये के अल्लावः कोई साया न होगा, अल्लाह तअला अपने साए में सात किस्म के लोगों को रख्खेगा- - 
१-हाकिम आदिल.
२- वह जवान जो यादे-खुदा में ही परवरिश पाया हो.
३- वह शख्स जिस का दिल हर वक़्त मस्जिद में लगा रहता है.
४- वह लोग जो खुदा के वास्ते ही प्यार करते हों,और उसी के वास्ते एक दूसरे से जुदाई अख्तियार करते हों. ? ? ?
५- वह शख्स जिसे इज्ज़त वाली हसीन औरत अपने पास बुलाए और वह जवाब देदे कि मुझको खुदा से खौफ़ मालूम होता है.
६- जो शख्स सद्कः दाएं हाथ से करे और बाएँ हाथ को खबर न हो.
७- और वह शख्स जो अकेले में याद इलाही में गिर्या करता हो.
* अहले हदीस इस इक्कीसवीं सदी में कंप्यूटर की तालीम न लेकर मुहम्मद की बातें याद करता है और उन पर अमल करता है. सातों नुक्ते वक़्त की हवा से उलटे सम्त को जाते हैं. इनको मुसलमान अपना निसाब बना कर जीते हैं. 
ये लोग अल्लाह के साए में होंगे, बाकी मुसलामानों का क्या होगा.

बुखारी ३७६
मुहम्मद ने कहा पांच तरह की मौतों से शक्श शहीद होता है - - - 
१- ताऊन से मरे 
२- पेट की बीमारी से मरे 
३- पानी में डूब कर मरे 
४- दब कर मरे 
५- जिहाद में मौत हो.
किस बुन्याद को लेकर जन्नत मुक़र्रर हुई? 
मौत तो कई बार बड़ी ही अज़ीयत नाक होती है.
इसी हदीस में एक बात मुसबत पहलू रखती है, मुहम्मद कहते हैं राह में पड़ी कंटीली झाड़ी जो उठा कर बाहर डाल दे, अल्लाह उसका शुक्र गुज़ार होता है. हांलाकि मुहम्मदी अल्लाह अगर खुद चाहे तो ये काम कर सकता है. या काँटों भरे राहों से मुसलमानो को बचा सकता हो.

बुखारी ३७२
मुहम्मद ने कहा कि खुदा की क़सम कई मर्तबा मैंने इरादा किया कि अपनी जगह मैं किसी और को मुक़र्रर कर के, मैं लकडियाँ चुनूँ और उनके घरों में आग लगा दूं जो इशां के वक़्त नमाज़ पढने नहीं आते. 
कहा, अल्लाह की क़सम जिसके कब्जे में मेरी जान है अगर ये एलान कर दिया जाय कि नमाज़ के बाद बकरी की एक हड्डी या एक खुरी मिलेगी तो यह लोग भागते हुए मस्जिद में आ जाएं .
*मुहम्मद सहाबियों की हक़ीक़त बताई है जिन्हें बड़े अदब और एहतराम के साथ मुसलमान सहाबी ए किरम कहा करते हैं.

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