Tuesday 14 June 2016

बांग-ए-दरा -7




बांग-ए-दरा

खुदा  कहता है मुझे पूजो नहीं, मुझ से लड़ो 

तू ऐसा बाप है जो अपने बेटे को कुश्ती के दाँव पेंच सिखलाता है,
खुद उससे लड़ कर,
चाहता है कि मेरा बेटा मुझे परास्त कर दे।
तू अपने बेटे को गाली भी दे देता है,
ये कहते हुए कि ''अगर मेरी औलाद है तो मुझे चित करके दिखला'',
बेटा जब गैरत में आकर बाप को चित कर देता है,
तब तू मुस्कुराता है और शाबाश कहता है।
प्रकृति पर विजय पाना ही मानव का लक्ष है,
उसको पूजना नहीं.
मेरा खुदा कहता है तुम मुझे हल हथौड़ा लेकर तलाश करो,
माला और तस्बीह लेकर नहीं।
तुम खोजी हो तो एक दिन वह सब पा जाओगे जिसकी तुम कल्पना करते हो,
तुम एक एक इंच ज़मीन के लिए लड़ते हो,
मैं तुम को एक एक नक्षत्र रहने के लिए दूँगा।
तुम लम्बी उम्र की तमन्ना करते हो,
मैं तुमको मरने ही नहीं दूँगा जब तक तुम न चाहो ,
तुम तंदुरस्ती की आरज़ू करते हो,
मैं तुमको सदा जवान रहने का वरदान दूंगा,
शर्त है कि,
मेरे छुपे हुए राज़ो-नियाज़ को तलाशने की जद्दो-जेहाद करो,
मुझे मत तलाशो,
मेरी लगी हुई इन रूहानी दूकानों पर तुम को अफीमी नशा के सिवा कुछ न मिलेगा।
तुम जा रहे हो किधर ? सोचो,

पश्चिम जागृत हो चुका है. वह आन्तरिक्ष में आशियाना बना रहा है,
तुम आध्यात्म के बरगद के साए में बैठे पूजा पाठ और नमाज़ों में मग्न हो।
जागृत लोग नक्षर में चले जाएँगे तुम तकते रह जाओगे,
तुमको भी  ले जाएंगे साथ साथ,
मगर अपना गुलाम बना कर,
जागो, 
मोमिन सभी को जगा रहा है।
*****

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