Wednesday 22 June 2016

बांग-ए-दरा -13



मुअज्ज़े (चमत्कार) 

मुहम्मद नें जो बातें हदीसों में फ़रमाया है, उन्ही को कुरआन में गाया है.
अल्लाह के रसूल खबर देते हैं कि क़यामत नजदीक आ चुकी है, और चाँद फट चुका है..
मूसा और ईसा की तरह ही मुहम्मद ने भी दो मुअज्ज़े (चमत्कार) दिखलाए, 
ये बात दीगर है कि जिसको किसी ने देखा न गवाह हुआ, 
सिवाय अल्लाह के या फिर जिब्रील अलैहस्सलाम के जो मुहम्मद के दाएँ बाएँ हाथ है.
एक मुअज्ज़ा था मेराज  यानी सैर ए कायनात जिसमे उन्हों ने सातों आसमानों पर कयाम किया, अपने पूर्वज पैगम्बरों से मुलाक़ात किया, यहाँ तक कि अल्लाह से भी गुफ्तुगू की. उनकी बेगान आयशा से हदीस है कि उन्होंने अल्लाह को देखा भी.
दूसरा मुअज्ज़ा है  शक्कुल कमर यानी  मुहम्मद ने उंगली के इशारे से चाँद के दो टुकड़े कर दिए, जिनमें से एक टुकड़ा मशरिक बईद में गिरा और दूसरा टुकड़ा मगरिब बईद में. 
(पूरब और पच्छिम के छोरों पर)
इन दोनों का ज़िक्र कुरआन और हदीसों, दोनों में है. इस की इत्तेला जब खलीफ़ा उमर को हुई तो रसूल को आगाह किया कि ऐसी बड़ी बड़ी गप अगर आप छोड़ते रहे तो न आपकी रिसालत बच पाएगी और न मेरी खिलाफत. बस फिर रसूल ने कान पकड़ा, 
कि मुअज्ज़े अब आगे न होंगे.
उनके मौत के बाद उनके चमचों ने अपनी अपनी गवाही में मुहम्मद के सैकड़ों मुअज्ज़े गढ़ डाले.
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