
हदीसी हादसे
बुख़ारी १४६६ तिकड़म पसंद रसूल
"इरवा बारक़ी कहते है कि मुहम्मद ने इनको एक बकरी खरीदने के लिए एक दरहम दिया . मैंने एक दरहम में दो बकरियां खरीदीं , उसके बाद एक दरहम में एक बकरी बेच दी और मुहम्मद को आकर एक दरहम और एक बकरी लाकर दिया . इस पर वह खुश हुए और अपने कारोबार में मुझे शरीक कर लिया .
* इरवा बारक़ी ने ग़रीब किसान और मजबूर की मजबूरी का फायदा उठाया , यह बात नबूवत के समझ में नहीं आई , एक आम आदमी की तरह नफ़ा नुक़सान ज़रूर नज़र आया .
बुख़ारी १ ४ ८ ५
जब अपने पाँव में फटी बेवाई
हदीस है कि अली ने अबू जेहल की बेटी के लिए शादी का पैगाम भेजा जिसकी खबर इनकी बीवी फ़ातमा को हुई जो कि मुहम्मद की बेटी थीं . फातमा ने बाप के पास जाकर शिकायत की . खबर सुन कर मुहम्मद उठ खड़े हुए और कहा मैं ने अपनी बेटी जैनब का निकाह अबुल आस से किया था , उसने मुझ से अहद किया था जो सही करके दिखाया। रही फ़ातिमा, यह मेरे जिगर का टुकड़ा है , मैं इसकी तकलीफ़ दही को गवारा नहीं कर सकता . अल्लाह की क़सम अबू जेहल एक काफ़िर की बेटी और मुहम्मद की बेटी , हरगिज़ एक एक शख्स के निकाह में जमा नहीं हो सकतीं . यह फरमान सुन कर अली ने अपना इरादा तर्क कर दिया .
मुस्लिम - - - किताबुल फ़ज़ायल
रवायत है कि मुहम्मद मिम्बर पर फरमा रहे थे कि हुश्शाम बिन मुगीरा के बेटों ने मुझ से इजाज़त मांगी अपनी बेटी का निकाह अली से (यानी अबू जेहल की बेटी का , जिसके साथ निकाह के लिए अली ने पैगाम दिया था ) मुहम्मद ने तलाक़ की तरह तीन बार इजाज़त देने से इनकार कर दिया और कहा अली को इजाज़त जभी दूंगा जब वह मेरी बेटी को तलाक़ देदे .मेरी बेटी मेरे जिस्म का टुकड़ा है , इसको ईज़ा होती है तो मुझको ईज़ा होती है .
*मुहम्मद की अज्वाजी ज़िन्दगी में मुख्तलिफ फिरकों की बयक वक़्त नौ बीवियां सवतों की शक्ल में हुवा करती थीं, मगर जब अपनी बेटी पर सवत की बात आई तो कैसी गुजरी . कलेजा मुंह को आ गया . कैसा दोहरा मेयार था जनाब का ? बनते थे अल्लाह के रसूल .
tu to Muslim Nam ke aad yek kafir hai
ReplyDeletetuzse jyda lanti or koe nahi ho sakata
kisi bat ka galat MATLAB nikal na to tuze hi aata hai
Teri mane tere bap ke bare me sach to bataya haina ???