Saturday 3 December 2016

बांग-ए-दरा 164




बांग ए दरा 


''और तुम उन लोगों की तरह न होना जो दावे करते हैं कि हमने हैं सुन लिया हालाँकि वह सुनते सुनाते कुछ भी नहीं. बेशक बद तरीन खलायक अल्लाह के नज़दीक वह लोग है जो बहरे हैं, गूंगे हैं जोकि ज़रा भी नहीं समझते.
सूरह -इंफाल - ८ नौवाँ परा आयत (२२)
अल्लाह बने हुए मुहम्मद मस्जिद में तक़रीर कर रहे हैं छल कपट की जिस को लोग खूब समझ रहे हैं और बेज़ार होकर इधर उधर देख रहे हैं गोया उनको एहसास दिला सकें कि वह खूब उनका असली मकसद समझते हैं. मुहम्मद अपने जंबूरे अल्लाह का सहारा बार लेते हैं मगर वह पानी का हुबाब साबित हो रहा है. वह इस्लाम पर ईमान लाए लोगों को बद तरीन मख्लूक़ तक भी कह रहे है, कोई तो मसलेहत होगी कि लोग सर झुका कर महफ़िल में उनकी यह गाली भी बर्दाश्त कर रहे हैं. इन बहरे और गूंगे लोगों पर अल्लाह की कोई हिकमत काम नहीं करती जो दोज़ख में काफिरों की खालें अंगारों से जल जाने के बाद बदलता रहता है.


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