
बांग ए दरा
गढ़ी हुई आयत मुलाहिज़ा हो - - -
''और इब्राहीम ने दुआए मगफिरत अपने बाप के लिए माँगा और वह srif वादा के सबब था जो इन्हों ने इस से वादा लिया था, फिर जब उन पर यह बात ज़ाहिर हो गई की वह खुदा का दुश्मन है तो वह उस से महज़ बे ताल्लुक हो गए."
सूरात्तुत तौबा ९ - १०वाँ परा आयत (११४)
पिछले बाब में मैं लिख चुका हूँ, फिर दोहरा रहा हूँ कि बाबा इब्राहीम इंसानी तवारीख के पहले नामवर इंसान हैं जिनका ज़िक्र आलमी इतिहास में सब को मान्य है.पाषाण युग था वह पत्थर तराश के बेटे थे, बाप के साथ संग तराशी में बमुश्किल गुज़रा होता था. बाबा इब्राहीम की वजेह से उनके बाप नाम भी जिंदा-ए-जावेद हो गया. यहूदी तौरेत उनको तेराह बतलाती है अरबी आजार कहते हैं. उन्हों ने अपने बेटे अब्राहाम और भतीजे लूत को ग़ुरबत से नजात पाने के लिए ठेल ढकेल के परदेस भेजा यह सपना दिखला कर कि तुम को दूध और शहद की नादियों वाला देश मिलेगा. इब्राहीम, लूट न पैगम्बर थे और न आजार काफ़िर. वह लोग पाषाण युग के अविकसित सभ्यता के पथिक मात्र थे. कुरान में जो आप पढ़ रहे है वहझूटी पैगम्बरी के गढ़े हुए मकर हैं. बे ज़मीर पैगम्बरी तमाम हदें पार करती हुई अल्लाह यानी खुदाए बरतर को यूं रुसवा करती है - - -
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