Tuesday 6 December 2016

बांग-ए-दरा 167




बांग ए दरा 


''और जब उनके सामने हमारी आयतें पढ़ी जाती हैं तो कहते हैं; हमने सुन लिया और अगर हम इरादा करें तो इसके बराबर हम भी कह लाएं, यह तो कुछ भी नहीं सिर्फ बे सनद बातें हैं जो पहलों से मन्कूल चली आ रही हैं.''
सूरह -इंफाल - ८ नौवाँ परा आयत ( ३१)

अल्लाह बने मुहम्मद झूट बोलते हैं कि क़ुरआन किसी अल्लाह का कलाम है क्यूं कि यह खुद इस्लामी अल्लाह हैं और क़ुरआन इन का फूहड़ कलाम है. अरब में तौरेत की पुरानी कहानियाँ सीना दर सीना सदियों से चली आ रही थीं जैसे भारत में पौराणिक कथाएँ. जब मुहम्मद उसे अल्लाह का कलाम गढ़ कर अवाम को सुनाते तो खुद मुसलमान हुए लोगों में ऊब कर कुछ लोग कह देते की ऐसी बे सनद बातें तो हम भी कर सकते हैं जो पहले से मशहूर हैं इनमें नया क्या है? तलवार की काट और हराम खोर ओलिमा की ठाठ, आज मुसलमानों की ज़ुबान पर क़ुफ्ल जड़े हुए है.


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