
बांग ए दरा
''बस ईमान वाले तो ऐसे होते हैं कि जब अल्लाह तअला का ज़िक्र आता हैतो उनके कुलूब डर जाते हैं और जब अल्लाह की आयतें उनको पढ़ कर सुनाई जाती हैं तो वह उनके ईमान को ज़राज़्यादा कर देती हैं और वह लोग अपने रब पर तवक्कुल करते हैं.''
सूरह इंफाल - ८ नौवाँ परा आयत (२)
मुहम्मद इस्लामी ईमान के बे ईमान धागे को अपने उँगलियों में बांध कर समाज के बेवकूफों और मजबूरों को कठ पुतलियों की तरह नचा रहे हैं। वह अपनी क़ुरआनी तुकबंदी को क़ल्बी सुकून के लिए सुनना चाहते हैं न कि जेहनी तश्नगी की खातिर. सब्र और संतोष का पाठ उम्मत को और मालो मता अपने हक में कर के आँख मेंधूल झोंक रहे है.
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