Wednesday 7 December 2016

Hadeesi Hadse 439




हदीसी हादसे 
बुख़ारी १४५३ 

मुहम्मद कहते हैं कि एक वक़्त आएगा जब लोग गुमराही में मुब्तिला हो जाएँगे . वह हम तुम जैसे लोग होंगे , हमारी जुबान बोलेंगे , मगर ख़बरदार ! तुम अपने इमाम की पैरवी ही करना . अगर इमाम मुयस्सर न हो तो जंगल की तरफ भाग जाना और दरख्तों की जड़ें खा खा कर मर जाना .
हाँ ! यह वक़्त ज़रूर आने वाला है . मुसलामानों की नौबत खुद कुशी की होगी मगर इमामों की कसरत होगी . हर इमाम इनका खून चूसने के दर पे होगा मुसल्मान अभी से तैयार हो जाएं . ऐसे वक़्त के आने से पहले ईसाई उनके सामने मिशन लेकर खड़े होंगे और हिन्दू शुद्धि करन की भजन मण्डली , मगर खबर दार तुम शुद्ध होने के बाद भी अशुद्ध ही रहोगे . वह तुमको अपने रोटी बेटी में शामिल नहीं करेंगे . ऐसे वक़्त में उन्हें मजदूरों और मेहतरों की ज़रुरत होगी , क्योंकि यह तबका तब तक तालीम याफ्ता होकर इनके बराबर हो चुका होगा .
ईसाइयों को भी तुमको बख्श देने का ख़याल न होगा , इनको तुम्हारे वजूद में मौजूदा सलाहियत होने का फायदा उठाना होगा . इसके आलावा दोनों को चाहिए होगा कंज्यूमर मार्केट .
ऐसा वक़्त आने से पहले मोमिन की मान लो और दीन ए इंसानियत अपना लो . सच्चे इंसान से किसी को बैर न होगा .
मत दलील देना कि तुम्हारा इस्लाम इंसानियत का सबक ही देता है . यह झूठा सबक सिखलाने वाले तुमको , तुम्हारे ओलिमा हैं . इनसे खुद को और अपनी नस्लों को दूर रखना होगा , जैसे कि खारिश ज़दा और पागल कुत्तों से दूर रहते हो .
यह अपनी हुलिया को ताक पर रख कर मेहनत और मशक़्क़त की रोटी खाने लगें तो इनको मुआफ़ करदो . 

मुस्लिम किताबुल लिबास ओ ज़ीनत 

मुहम्मद की ग्यारवीं बीवी मैमूना कहती हैं कि एक रोज़  सारा दिन मुहम्मद उदास रहे क्योंकि जिब्रील अलै आने का वादा कर चुके थे , मगर आए नहीं . ख़याल आया कि कुत्ते का बच्चा डेरे से निकला था , मुहम्मद ने पानी छिड़क क्र इस जगह को पाक किया . शाम को जिब्रील आए और वजह बतलाई की कुत्ते की मौजूदगी और नजासत उनको मंज़ूर न नहीं . उस घर में नहीं जाते जिसमे कुत्ता या उसकी मूरत हो . 
दूसरे दिन मुहम्मद ने हुक्म दिया कुत्तों को क़त्ल कर दिया जाए . छोटे बाग़ के कुत्ते क़त्ल कर दी गए और बड़े बाग़ के रहने दिए गए .
* दुन्य की सब से प्यारी और इंसान दोस्त मखलूक के साथ पैगम्बर ए इस्लाम का ऐसा सुलूक था . हैरत का मुक़ाम है कि आज के दौर में मुसलमान कुत्तों से उतनी ही नफ़रत करते हैं जितनी मुहम्मद को थी .
एक अँगरेज़ मुफक्किर कहता है कि लोग कुत्ते के बिना कैसे रह लेते हैं ? इस पर हमें यकीन नहीं आता . 



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