Sunday 4 December 2016

बांग-ए-दरा 165




बांग ए दरा 

''अल्लाह तअला इन में कोई खूबी देखे तो इन को सुनने की तौफ़ीक़ दे और अगर इनको सुना दे तो ज़रूर रू गरदनी करेगे बे रुखी करते हुए.''
सूरह -इंफाल - ८ नौवाँ परा आयत (२३)
दुन्या के मासूम लोग मानते हैं कि कुरआन अल्लाह का कलाम है, ईश वाणी है. क्या ईश्वर भी इंसानों की तरह ही चाल घात और मकर ओ फरेब का दिल ओ दिमाग रखता होगा? जैसा कि कुरआनी आयतें अपने अन्दर छुपाए हुए हैं. इसी लिए मुहम्मद ने इसे रटने और पाठ करने के लिए पुन्य कार्य यानी सवाब करार दे दिया है और कह दिया है कि इसकी गहराई में मत जाओ कि इसको अल्लाह ही बेहतर जानता है. मुहम्मद की खूबी वाले लोग उन्हीं को मानते हैं जो डरपोंक हों चापलूस हो और बिला शर्त उनको समर्पित हों. वह ज़हीन लोगों से डरते हैं कि वह ख़तरनाक होते हैं. कुंद ज़हनों पर ही उनका अल्लाह राज़ी है कि मुहम्मद उनका शोषण कर सकते हैं. आज तालिबान जैसे संगठन ठीक मुहम्मद के नक्शे क़दम पर चलते हैं.


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