Wednesday 27 January 2016

Elan



एलान 

डर से , मसलेहत से या नादानी से, 
अभी तक मैं इंटर नेट पर अपनी पर्दा पोशी कर रहा  था .
 मेरी उम्र ७१+ हो चुकी है और इतनी बलूग़त आ गई है कि मैं अपनी हकीकत अयाँ कर दूँ . 
मेरी तस्वीर जो ब्लॉग पर लगी हुई है, वह मेरा नौ साल का बचपन है ,
आज से ब्लॉग पर मेरी आज की मौजूदा तस्वीर होगी. 
मेरा नाम मुहम्मद जुनैद खां , मेरे वालदैन का रख्खा हुवा  है.
सिने - बलूग़त में आने के बाद मैंने अपने नाम में "मुहम्मद और खान "को ग़ैर ज़रूरी और बेमानी समझ कर निकाल दिया. 
बहुत दिनों तक मैं जुनैद मानव मात्र के नाम से लिखता रहा ,
जब मैंने क़ुरआन में लफ्ज़ "मुंकिर " के मतलब को समझा , 
बस दूसरे लम्हे ही मुंकिर मुझे भा गया . 
मुंकिर का मतलब है इस्लाम में रह कर,  इससे बाहर जाना है ,
 जिसकी सजा क़त्ल है. 
अपनी ज़ाती समझ और शऊर पाने के बाद मैं इस्लामयात को नहीं मानता  मुझे मुल्हिद भी कह सकते हैं. 
 इन सच्चाई के बाद मैं खुद को सदाक़त के हवाले कर दिया  
और जुनैद मुंकिर हो गया .  
शुक्र है मैं किसी इस्लामी मुल्क में नहीं हूँ वरना अब तक मंसूर के अंजाम को जा लगता . 
दूसरी बात ,  
मेरे मज़ामीन में मुस्लिम बनाम मोमिन की लंबी बहसें मिलती है , 
मोमिन को जान लेने के बाद मुझे मोमिन लफ्ज़ अज़ीज़ है.  
मेरी तहरीक कभी नज़्म (शायरी) में होती है तो कभी नस्र में .  
नज़्म में मैं मुंकिर को अपने तखल्लुस की जगह लाता हूँ और 
नस्र में जीम  मोमिन रहता हूँ । आइन्दा जीम= जुनैद होगा . 
अब मुझे सच होने , 
सच बोलने और 
सच लिखने 
से कोई डर नहीं लगता . 

८-१२-१९४४ से २२-१-२०१६  ++++

जुनैद मोमिन 



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