Wednesday 20 January 2016

Hadeesi Hadse 192


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हदीसी हादसे 81
बुख़ारी ११०१ 
ग़ुलामों और लौंडियों के खरीद , फ़रोख्त के सिलसिले में मुहम्मद कहते हैं ," तुम लोग यह क्या हरकत करते हो कि ऐसी शर्तें बयान करते हो कि जो किताब अल्लाह में मौजूद नहीं है. अगर कोई शख्स ऐसी शर्तें बयान करे जो किताब में न हो, अगर वह ऐसी सौ शर्तें बयान करेगा वह सब बातिल होंगी . वही शर्त क़बिल होंगी जो हक तअला ने फ़रमाई होंगी." 
* मुसलमानों को मुन्जमिद रखने वाला इस्लाम अपने उम्मी रसूल के हुक्म पर आज भी लकीर का फकीर बना हुवा है. कोई भी कानून वक़्त के हिसाब से बनता और बिगड़ता है. उस वक़्त 
लौड़ी और ग़ुलामों की खरीद और फ़रोख्त की शर्त मुहम्मदी अल्लाह ने बनाए थे, आज लौंडी ग़ुलाम रखना ही जुर्म बन गया है. 
बुख़ारी ११०३ 
आयशा अपने भाँजे से कहती हैं कि 
"ए भाँजे! दो दो महीने गुज़र जाते थे कि घर में चूल्हा नहीं जलता था." भांजा पूछता है "तो फिर आप लोग ज़िन्दगी कैसे बसर करते थे? 
आयशा जवाब देती हैं कि "खजूर और पानी मयस्सर थे या फिर पड़ोस में पले मवेशी से कुछ दूध मिल जाता 
* ऐसी तस्वीरें बार बार ओलिमा पेश करते हैं. जब कि मुहम्मद की सारी बीवियों के घरो में बनी नुज़ैर और बाद में खेबर से मॉल गुज़रयाँ आती थीं 
जो अशर्फियों के थैले तक हुवा करते थे. इसके आलावा जंगों से मिला मेल-गनीमत का २०% मॉल आता था. 
मुसलमानों! यह अल्लाह की नाजायज़ औलादें, ओलिमा तुमको गुम राह किए हुए हैं. इनकी बातों पर कान मत धरो और इनसे इतना फ़ासला 

रहे जितना खिन्जीर से रखते हो. मोमिन तुमको नई राह "ईमान" की दिखलाता हो. 
बुख़ारी 112
मुहम्मद ने कहा लोगो! क्या मैं तुमको गुनाह-सगीरा की इत्तला दूं , लोगों ने कहा ज़रूर. बतलाया कि वह जो अल्लाह के साथ दुसरे को शरीक करते हैं और वह जो अपने मां बाप की खदमत नहीं करते।
कुछ देर की ख़ामोशी के बाद उन्होंने ऐसी बकवास की कि लोग दुआ करने लगे कि काश मुहम्मद के मुंह पर ताला लगे
*मुहम्मद के मुंह में वबसीर थी, जिसके सबब हदीसं वजूद में आईं और कुरान उतरा.
मुसलमान इस हदीस को गवाही समझें जो खुद उनके सहाबी इकराम फरमाते हैं।
गुनाहे-सगीरा छोटा गुनाह होता है. मुहम्मद की तो पूरी ज़िन्गागी ही सगीरा कबीरा गुनाहों में गुज़री।

जीम. मोमिन 

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