Tuesday 26 March 2013

हदीसी हादसे 78


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बुख़ारी 1311
मुहम्मद ने अपनी कमसिन बीवी से सामने पुडिया छोड़ी , बैठे बैठे कहने  लगे ,
"आयशा जिब्रील तुमको सलाम कहते हैं।"
वालेकुम अस्सलाम कहते हुए आयशा कहती है '
'' जो चीज़ मुझको नज़र नहीं आती, आप कैसे देखते है?"

मुहम्मद ने आयशा को कैसे समझाया इसका ज़िक्र नहीं मगर ज़रूर किसी मकर से काम लिया होगा .
यही आयशा हदीस बुखारी 1171 में कहती हैं कि ,

"इनके शौहर ख़दक से जंग कर के आए, ग़ुस्ल से फ़ारिग़ हुए ही थे कि जिब्रील अलैहिस्सलाम नाज़िल हुए,
कहा या रसूल अल्लाह आपने हथियार खोल दिए हैं मगर मैं अभी तक बांधे हुए हूँ। 
मुहम्मद ने पूछा कहीं की जंग है?
जिब्रील ने कहा हाँ! बनू क़रीज़ा .
ग़रज़ मुहम्मद बनू क़रीज़ा की तरह निकल पड़े।

*इस हदीस में आयशा जिब्रील को देखती भी है और सुनती भी है 
अंधे बुखारी को भी दोनों हदीसों में ताजाद नज़र नहीं आया।
आयशा ने या इसके नाम से मनमानी हदीसें गढ़ी गई हैं।
देखिए कि मुसलमान इन झूटी हदीसों में कैसी झूटी ज़िन्दगी जी रहे हैं।

बुख़ारी 1319
मुहम्मद कहते हैं कि अगर कोई शौहर अपनी बीवी को बिस्तर पर बुलाता है और वह नहीं आती, शौहर गुस्से की हालत में सो जाता है तो फ़रिश्ते ऐसी औरत पर रात भर 
लअनत भेजते हैं .
*आठ दिन तक मुहम्मद की बीवियां अपनी बारीयों का इंतज़ार करती रही होंगी तो फ़रिश्ते मुहम्मद पर लअनत करते रहे होंगे।
इस्लाम में औरत ज़ात की जगह जगह ज़िल्लत है मगर यही कूढ़ मग़जें मुहम्मद पर दरूद ओ सलाम ज़्यादा भेजा करती है।

मुस्लिम किताबुल हुदूद 
अनस कहता है कि मुहम्मद शराबियों को चालीस मार 
टहनियों की या चालीस जूते मारते थे 
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मुस्लिम किताबुल हुदूद 
 उस्मान की खिलाफ़त में दो लोग शराबी को पकड़ कर लाए, ख़लीफ़ा ने कोड़े लगाने का हुक्म दिया . मातहत अली ने अपने बेटे हसन को हुक्म दिया कि उठ कोड़े लगा। हसन ने बाप की हुक्म उदूली करते हुए कहा कि उस्मान ने सजा सुनाई है , वही कोड़े लगाएं।
इसके बाद अली गुस्सा हुए हसन पर और अब्दुल्ला बिन जाफ़र से कहा उठ और कोड़े लगा . अली गिनते गए और चालीस पर बंद किया .
मुहम्मद के बाद अबू बकर ने शराब की सज़ा चालीस कोड़े ही ऱखी थी , मगर उमर ने इसे बढ़ा कर अस्सी कर दिया था जिसे अली ने फिर चालीस कर दिए 
* पिछले दिनों मैं बतला चुका हूँ कि शराब क्यों हराम हुई, इसलिए कि हमजा ने अली को मिले ऊंटों को शराब के नशे में एक रक्कासा के कहने पर मार डाला था।
हुवा ये कि मुहम्मद एन्ड कंपनी खुद भी शराब से महरूम हो गई और मुसलमानों को भी महरूम कर गए
मगर हसन की जिंदगी शराब और शबाब में गुज़री। इनकी 72 बीवियाँ और सैकड़ों बांदियां थीं।
उस्मान और अली की हरीफ़ाई, हसन के रविश गवाही देती है। इसी रंजिश में उस्मान क़त्ल हुए।



जीम. मोमिन 

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